भाकपा माले ने लॉकडाउन से उत्पन्न मौजूदा परिस्थिति में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा गरीब महिलाओं के ग्रुपों को दिए गए लोन की वसूली के लिए उनपर दबाव बनाने या उन्हें कई तरह की धमकियां दिए जाने का विरोध किया है। बेंगाबाद प्रखंड के पतरोडीह गांव से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां लोन ली हुई महिलाओं ने आरोप लगाया कि अभी कोरोना काल में जबकि उनकी आर्थिक स्थिति बद-से-बदतर हो गई है और उनके लिए परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद लोन की किस्त वसूली के लिए कंपनियों के कुछ प्रतिनिधि उन पर नाजायज दबाव बना रहे हैं और तरह-तरह की धमकियां दे रहे हैं।
महिलाओं की इस तरह की गंभीर शिकायतों के बाद भाकपा माले नेता राजेश कुमार यादव ने अपनी टीम के साथ वस्तुस्थिति का जायजा लेने के बाद कहा कि लोन क़िस्त की वसूली के लिए कंपनियों के प्रतिनिधि इस तरह की हरकत करना तत्काल बंद करें, नहीं तो उनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया जाएगा।
पार्टी की ओर से कहा गया कि जिन्होंने लोन लिया है वे उसकी अदायगी भी जरूर करेंगे, लेकिन अभी की स्थिति में जब गरीबों के लिए परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है तो उनके लिए किस्त दे पाना सम्भव नहीं है। इस सच्चाई को कंपनियों तथा उनके एजेंटों को समझना चाहिए।
वहीं, भाकपा माले ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार से 20 लाख करोड़ के लॉकडाउन राहत पैकेज से महिला ग्रुपों के सभी लोन माफ करने की मांग करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बीच ही जब कारपोरेट कंपनियों के लोन एक तरह से माफ हो सकते हैं तो मोदी सरकार को गरीबों का भी लोन माफ करना चाहिए। साथ ही भविष्य में महिला ग्रुपों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराने की गारंटी की जानी चाहिए।
गिरीडीह से चंदन पांडे की रिपोर्ट