NEWSPR डेस्क। सोने के आयात में अचानक वृद्धि देखी गई। मई के महीने में कुल 107 टन सोना आयात किया गया और जून में भी आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सोने के आयात में होने वाली बढ़ोतरी से चालू खाता घाटे पर दबाव पड़ने लगा। सोने के आयात को नियंत्रित करने के लिये, सोने पर सीमा शुल्क को 10.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया।
वहीं कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का उपकर (विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के माध्यम से) लागू किया गया है। हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में बहुत तेजी देखी गई है। कच्चे तेल के घरेलू उत्पादक अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की बराबरी करते हुये कच्चा तेल स्वदेशी रिफाइनरियों को बेचते हैं। परिणामस्वरूप, कच्चे तेल के घरेलू उत्पादक मोटी कमाई कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुये कच्चे तेल पर 23250 रुपये प्रति टन के हिसाब से उपकर लगा दिया गया है। कच्चे तेल के आयात को इससे अलग रखा गया है।
घरेलू उत्पादक अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की बराबरी करते हुये कच्चा तेल बेचते हैं। पेट्रोलियम उत्पादों/ईंधन की कीमतों पर इस उपकर का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके अलावा छोटे उत्पादकों, जिनका कच्चे तेल का वार्षिक उत्पादन पिछले वित्त वर्ष के मद्देनजर दो मिलियन बैरल से कम होगा, उन्हें इस उपकर से छूट मिलेगी। कच्चे तेल का कोई उत्पादक, जिसने पिछले वर्ष कच्चे तेल का कुछ अतिरिक्त उत्पादन किया है, तो कच्चे तेल की उस मात्रा पर कोई उपकर नहीं लगाया जायेगा। यह कदम पिछले वर्ष के दौरान अतिरिक्त उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिये उठाया गया है।
इस कदम से पेट्रोलियम उत्पादों और ईंधनों की कीमतों या कच्चे तेल की कीमतों पर कोई असर नहीं होगा। पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क/उपकर, पेट्रोल पर छह रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से लागू। हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में बहुत तेजी देखी गई है, जिसके कारण हाई-स्पीड डीजल और पेट्रोल की कीमत में भी तेजी आई। तेल शोधक इन उत्पादों को मौजूदा कीमतों पर विश्वस्तर पर निर्यात करते हैं। ये कीमत बहुत ऊंची होती है। चूंकि निर्यात बहुत लाभप्रद हो रहा है, इसलिये देखा जा रहा है कि कुछ तेल शोधकों के कारण घरेलू बाजार में तेल की कमी हो रही है।