NEWSPR DESK- भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ निखिल आनन्द ने आज इंडी गठबंधन को चुनौती देते हुए साफ लहजे में कहा कि पिछड़ा आरक्षण में सेंधमारी और ओबीसी की हकमारी बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन ओबीसी विरोधी है।
पटना में भाजपा मीडिया सेंटर में आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ आनंद ने कहा कि भाजपा ओबीसी मोर्चा किसी भी प्रकार के धार्मिक आरक्षण का विरोध करती है। इडी एलायंस ने सामाजिक न्याय को छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति की बलि चढ़ा दी है।
उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि सवर्ण उच्च जाति के मुसलमानों को ओबीसी के भीतर आरक्षण देने की कोशिश का मुस्लिम पसमांदा समाज खुलकर विरोध करे।
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री ने साफ तौर पर कहा कि देश के सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में एससी- एसटी- ओबीसी और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए संविधान प्रदत्त आरक्षण के प्रावधान को मौजूदा समय में लागू करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इंडी गठबंधन की धर्मनिरपेक्षता मूलतः धार्मिक तुष्टिकरण और मुस्लिमपरस्ती का ही पर्याय बनकर रह गई हैं। यही कारण है कि इंडी गठबंधन ने सामाजिक न्याय को छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति की बलि चढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में रोहंगिया और घुसपैठियों को भी ओबीसी आरक्षण के तहत लाभ दिया जा रहा है, यह दुर्भा्यपूर्ण बात है। कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में सभी मुसलमानों को ओबीसी घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि यह नीति देश के लिए विभाजनकारी है और इस नीति का भाजपा ओबीसी मोर्चा पुरजोर विरोध करती है। ओबीसी आरक्षण को छिन्न-भिन्न कर ध्वस्त करने कि यह कोशिश न सिर्फ गैर- संवैधानिक है, बल्कि भारतीय सामाजिक न्याय की अवधारणा के भी सख्त खिलाफ है।
निखिल आनंद ने कहा कि मंडल कमीशन के तहत पहले से ही धार्मिक अल्पसंख्यक समाज की पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। ऐसे में जो भी इंडी गठबंधन से जुड़ी काग्रेस- वामपंथी- राजद-सपा जैसे दल मुस्लिमों के लिए विशेष धार्मिक आरक्षण की बात करते हैं वे सभी सामाजिक न्याय के विरोधी हैं। मुसलमान के लिए धार्मिक आधार पर विशेष आरक्षण का प्रावधान करने की बात करके समस्त हिंदू ओबीसी समाज और मुस्लिम ओबीसी पसमांदा समाज की हकमारी की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने ओबीसी समाज से ओबीसी आरक्षण को खत्म करने या ओबीसी की हकमारी करने की किसी भी कोशिश का पूरजोर विरोध करने की अपील की।
निखिल आनंद सवर्ण मुसलमान को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने का विरोध करते हुए मुस्लिम पसमांदा समाज की चुप्पी पर अफसोस जताया। इन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि मुस्लिम ओबीसी पसमांदा समाज भी इस मुदे पर चुप्पी साधे हुए है। यह पसमांदा समाज एक ओर ओबीसी के भीतर अपने पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण भी लेना चाह रही है और दूसरी तरफ सवर्ण मुसलमान को ओबीसी घोषित किए जाने पर चुप्पी साधे हुए।
सबको मालूम है कि मोदी जी की सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों को दस फ़ीसदी विशेष आरक्षण का प्रावधान पहले से ही कर रखा है, जिसके अंतर्गत हिंदू या मुसलमान सामान्य वर्ग के सभी गरीब वर्ग के लोग आरक्षण का लाभ ले सकते है।