रांचीः बिहार और झारखंड में कई नक्सली वारदातों को अंजाम दे चुके कमांडर सुनील मुर्मु उर्फ सुनील मांझी को एनआईए ने बुधवार को गिरफ्तार किया है। सुनील मांझी का खौफ दोनों राज्यों में किस तरह का था, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसे पकड़वाने पर 25 लाख का इनाम घोषित किया गया था।
सुनील मांझी मूलतः गिरिडीह जिले के मधुबन थाना क्षेत्र के लहेरबेड़ा गांव का रहने वाला है और माओवादियों के बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य है। वह गिरिडीह के पारसनाथ क्षेत्र में सक्रिय रहा है और क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों से भारी मात्रा में लेवी वसूल चुका है। एनआइए ने गिरफ्तारी के बाद उसे रांची स्थित एनआइए की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया जहां से चार दिनों के रिमांड पर लेकर पूछताछ की अनुमति मिली है। अब एनआइए टेरर फंङ्क्षडग मामले में उससे आगे की जानकारी लेगी।
बताते चलें कि गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र के केसवारी निवासी बनवारी यादव का बेटा सीपीआइ माओवादी का सहयोगी मनोज कुमार 21 जनवरी 2018 को गिरिडीह के डुमरी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से लेवी के छह लाख रुपये की बरामदगी हुई थी। जांच में यह बात सामने आयी थी कि आरके कंस्ट्रक्शन के लिए काम करने वाला मनोज दूसरे कंस्ट्रक्शन कंपनियों से भी पैसे वसूली कर माओवादी संगठन तक पहुंचाता था। तब इस मामले में डुमरी थाने में एफआईआर दर्ज करायी गई थी। बाद में 22 जुलाई 2018 को इस केस को एनआईए ने टेकओवर किया था। बीते माह एनआईए ने इस मामले में रांची स्थित आरके कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठिकानें पर छापेमारी की थी।
इसके बाद से ही एनआइए को सुनील मांझी की तलाश थी। इस मामले की जांच गिरिडीह पुलिस कर रही थी। गिरिडीह पुलिस ने इस मामले में 17 जुलाई 2018 को चार्जशीट दाखिल किया था। इसके बाद सरकार की अनुशंसा पर एनआइए ने नौ जुलाई 2018 को मामला दर्ज किया था। गिरिडीह पुलिस ने इस मामले में 17 जुलाई 2018 को चार्जशीट दाखिल किया था। इसके बाद सरकार की अनुशंसा पर एनआइए ने नौ जुलाई 2018 को कांड संख्या आरसी-21/2018 दर्ज किया था।