पटना: बिहार में नवंबर में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के विरोध के बाद अब चुनाव आयोग भी कोरोना महामारी के बीच अपने निर्णय पर विचार कर रहा है। आयोग ने सभी छोटे-बड़े राजनीतिक दलों से इस संबंध में सुझाव देने के लिए कहा है। राजनीतिक दलों से अपने सुझाव 27 जुलाई तक आयोग को उपलब्ध कराने को कहा गया है। आयोग ने दलों से पूछा है कि देश कोरोना महामारी से गुजर रहा है इसको लेकर आपदा प्रबंधन एक्ट के माध्यम से कई गाइडलाइनें तैयार की गयी हैं। कई गाइडलाइनें राज्य सरकारों ने भी दी हैं। इनका पालन किया जाना है।
चुनाव में कैसे रूकेगा प्रसार
आयोग ने कहा है कि कोरोना की रोकथाम के लिए सभी को सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। सोशल डिस्टैंसिंग के पालन और सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी गाइडलाइन तैयार की गयी है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग भी की जानी है। साथ में सैनिटाइजेशन भी किया जाना है। ऐसी परिस्थिति में राजनीतिक दल अपना सुझाव दें, जिससे कि कोरोना महामारी का चुनाव के वक्त महामारी के प्रसार को रोका जा सके।
राज्य में सिर्फ 34 फीसदी लोगों के पास स्मार्ट फोन
ट्राइ के आंकड़े के अनुसार बिहार में केवल 34% आबादी के पास स्मार्टफोन हैं, लिहाजा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चुनाव प्रचार मजाक बन जायेगा। विपक्षी दलों ने आशंका व्यक्त की है कि अगर कोरोना के खतरे को नजरंदाज किया गया और और वर्चुअल चुनाव प्रचार को मान्यता दी गयी, तो मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होगा. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कहा जायेगा. लिहाजा आयोग ऐसा प्रबंध करे, जिसके जरिये न केवल लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा भी की जा सके।
चुनाव टालने की हो रही मांग
कोरोना महामारी को लेक राजद, लोजपा सहित कई दलों ने सामूहिक तौर पर मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि आयोग तय तिथि पर बिहार विधानसभा चुनाव कराने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करे। वह जो भी फैसला ले ,उसमें कोरोना के मद्देनजर आम जन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाये. पक्षी पार्टियों ने उम्मीद जतायी है कि आयोग का फैसला जल्द होगा और लोकतांत्रिक शूचिता के अनुरूप हो, साथ ही सुनिश्चित किया जाये कि चुनाव प्रक्रिया कोरोना विस्फोट की एक घटना न बन जाये।