गया जिले में गर्मी और उमस के कारण कंजेक्टिवाइटिस यानी आई- फ्लू की बीमारी तेजी से फैल रही है। बड़ी संख्या में लोग आई – फ्लू से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। गया के मगध मेडिकल कालेज सह अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 60 से 70 मामले आई – फ्लू के आ रहे हैं। आई- फ्लू यानि कंजेक्टिवाइटिस के फैलते प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. प्रशांत कुमार ने बताया कि सौ में से लगभग 60 से 70 मामले आई – फ्लू के मिल रहे हैं। मौसम के बदलाव के कारण यह हो रहा है। आई ड्राप वितरित किया गया है। वहीं मरीजों की आंख की जांच कर दवा और चश्मा लगाने की सलाह दी जा रही है कंजेक्टिवाइटिस को आम भाषा में आंख आना भी कहते हैं। यह बीमारी मानसून के दिनों में तेजी से फैलती है। बीमारी के कारण आंखें लाल हो जातीं हैं। आंखों में पानी निकलता है। आंखों में तेज चुभन होती है तथा आंखों में सूजन भी आ जाता है। बच्चों में बुखार भी आ जाता है। आई- फ्लू से बचने के उपाय आई- फ्लू से बचाव के लिए अपने हाथों को नियमित अंतराल पर साबुन और सैनिटाइजर से साफ करते रहें। आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप- चश्मा का इस्तेमाल करें। आंखों को गंदे हाथों से न छूएं। अपने आंखों को साफ पानी से धोते रहें। संक्रमित लोगों के तौलिए, रुमाल, चादर आदि साझा न करें। अपने वातावरण को साफ रखें। भीड़ वाली जगहों से बचें। मानसून के दिनों में भीड़ वाली जगहों से बचें। ध्यान रखें कि आई- फ्लू एक संक्रामक बीमारी है. जो 9 संपर्क से फैलती है। रोगी से हाथ मिलाने और अपनी आंखों को रगड़ने से बचना चाहिए। शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में आई – फ्लू का प्रकोप है। आई- फ्लू होने पर इससे राहत के लिए एंटीबायोटिक आई ड्राप का इस्तेमाल किया जाता है। चिकित्सकों द्वारा इसके लिए विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक जैसे जेंटामाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सीन या माक्सीफ्लोक्सीन आई ड्राप देते हैं। आई ड्राप आंखों में दिन में चार से छह बार इस्तेमाल किया जाना चाहिए।