घरवालों द्वारा पढ़ाई छोड़वा कर शादी करवाने को लेकर युवती पहुंची महिला पुलिस थाने।

Patna Desk

 

भागलपुर,आज भी समाज में लड़कियों पर जल्दी से जल्दी शादी करने का सामाजिक दबाव होता है लेकिन कुछ उनमें ऐसी भी होती है जो इसका न सिर्फ विरोध करती है बल्कि खुद के पैरों पर खड़ा होकर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाती है, ठीक ऐसी ही कहानी बिहार के भागलपुर कहलगांव एकचारी के रहने वाले पिता दीपांकर कुमार उर्फ दिलीप और माता जूली देवी की बीए पार्ट 2 में पढ़ाई करने वाली 21 वर्षीय उज्जवला प्रियदर्शनी का है, उज्जवला 21 साल की हुई तो उनके माता-पिता ने उनकी शादी कराने का फैसला कर लिया। शादी तय हो गई, कार्ड छप गए ,लोगों को निमंत्रण भी चला गया लेकिन पढ़ाई जारी रखने के लिए उज्जवला ने इसका विरोध किया और वह पहुंच गई भागलपुर महिला थाने जहां वह अपनी गुहार लगाते हुए आवेदन में साफ तौर पर महिला थाना अध्यक्ष कुमारी नीता को लिख कर दी कि मेरे माता-पिता जबरन मेरी शादी कराना चाहते हैं लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाह रही हूं ,मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं मैं एक अफसर बनना चाहती हूं। उस लड़की के अंदर पढ़ाई करने की ललक देख महिला थाना के थानाध्यक्ष के साथ-साथ सभी पुलिसकर्मी भी 2 मिनट के लिए शांत हो गए , यहां तक तो ठीक था लेकिन लड़की ने यहां तक कह दिया कि मेरे माता पिता मुझे शादी करने के लिए इस कदर दबाव बनाते हैं कि एक दिन मेरे गले में दुपट्टा बांध कर मुझे मारने की कोशिश की है भद्दी भद्दी गालियां देते हैं कई गंदे आरोप लगाते हैं एक पिता होकर दूसरे लड़के से संबंध रखने की बात करते हैं यह कहीं से सही नहीं है अगर मेरी शादी मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे माता पिता कराते हैं तो मैं शादी के ही दिन आत्महत्या कर लूंगी। यहां हाई वोल्टेज ड्रामा भागलपुर के महिला थाना में घंटों चलता रहा, लड़की के अंदर पढ़ाई का जुनून देखते ही बन रहा था । वहीं दूसरी ओर उज्जवला के पिता दीपांकर कुमार उर्फ दिलीप खुद एक शिक्षक है, उनको तीन बेटे और एक बेटी उज्जवला प्रियदर्शनी हैं, उन्होंने कहा मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है अब मैं तुम्हें नहीं पढ़ा सकता अब मैं शादी करा कर निवृत होना चाहता हूं , अपनी बेटी की जिद्द को देखकर उन्हें भी पिघलना पड़ा और ऊपरी मन से उन्होंने भी फैसला लिया कि अब बेटी को पढ़ाऊंगा लेकिन दूसरी ओर मां और पिता पर समाज की बंदीसे इतनी बड़ी कुर्ती है कि वह सामाजिक ताने-बाने में फंसे रहते हैं, एक लाचार पिता ने कहा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा एक तरफ मैं पूरे समाज में अपने बेटी की शादी का निमंत्रण दे चुका हूं दूसरी और मेरी बेटी शादी से साफ इंकार कर रही है और वह कह रही है मैं पढ़ाई करना चाहती हूं आखिर मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा।

उज्जवला प्रियदर्शिनी की मां जूली देवी ने कहा आखिर मेरे से क्या गलती हो गई जो मेरी बेटी पूरे समाज के बीच मेरा नाक कटाना चाह रही है, अब सामाज क्या कहेगा? अगर यह शादी नहीं होती है तो मैं समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी ।

वही भागलपुर महिला थाना की थानाध्यक्ष कुमारी नीता ने एक तरफ जहां उज्जवला प्रियदर्शिनी की बातें सुनी वहीं दूसरी तरफ उनके माता-पिता की भी बातें सुनी दोनों को समझा-बुझाकर यह कह कर घर भेज दिया गया कि बेटी बालिग है अगर बेटी पढ़ना चाहती है तो इसे पढ़ाएं शादी की चिंता अभी ना करें। अंततः दोनों को समझा-बुझाकर घर तो भेज दिया गया लेकिन ना तो बेटी स्वस्थ मन से घर जा रही थी और ना ही उनके माता-पिता ,अब सवाल यह उठता है कि आज के समाज में भी एक शिक्षक पिता को अपनी बच्चे को पढ़ाई से विमुख कैसे कर सकता है? राज्य सरकार व केंद्र सरकार महिलाओं के उत्थान व शिक्षा को लेकर कई योजनाएं बना रही हैं फिर भी यह योजना कहीं ना कहीं उदासीन दिख रही है , अगर उस योजना का लाभ इस बच्ची को मिल जाए तो शायद वह पढ़ लिखकर एक अच्छा अफसर बन जाए?

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