घर में काम देने के सारे दावे झूठे, कटिहार में रोजगार की कमी के कारण फिर शुरू हुआ लाखों मजदूरों का पलायन

Sanjeev Shrivastava

कटिहारः हम मजदूरों को गाँव हमारे भेज दो सरकार,शायद लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का ये दर्द अपनी व्यथा खुद बयान कर रही थी लेकिन अब यही मजदूर फिर रोजी रोटी की तलाश में वापस अन्य शहर पंजाब लुधियाना राजस्थान की और लौट रहे हैं। बिहार सरकार ने वादा किया था कि बाहर से आये सभी प्रवासी मजदुरो को बिहार में ही रोजगार दिया जाएगा लेकिन ये दावे हवा हवाई ही साबित हुए न तो रोजगार मिला न कोरोना से मुक्ति सरकार चुनाव की तैयारी में व्यस्त है और मजदूर आने रोजी रोटी की तलाश में शायद इन मजबूर मजदुरो की यही नियति बन गयी है एक और कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है जहाँ सरकार को इलाज के इंतजामात करनी चाहिए मजदुरो को अपने वादे के अनुसार उन्हें बिहार में ही रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए अब सरकार ने उन्हें अपने ही हाल पे छोड़ दिया है।

काम की तलाश में वापस जाना मजबूरी

काम के लिए वापस लौट रहे मजदूरों ने बताया कि घर बार छोड़कर हम शहरों में भटकते हैं। लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्री बंद होने के बाद रोजी रोटी नही मिलने के कारण वापस लौटे थे। लेकिन अब फिर रोजी रोटी की तलाश में अन्य बड़े शहरों की और लौट रहे हैं। उनका कहना है कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है।

सरकार से टूटी उम्मीदें

 बिहार सरकार ने वादा किया था कि बाहर से आये सभी प्रवासी मजदुरो को बिहार में ही रोजगार दिया जाएगा लेकिन ये दावे हवा हवाई ही साबित हुए न तो रोजगार मिला न कोरोना से मुक्ति सरकार चुनाव की तैयारी में व्यस्त हैं। जहाँ सरकार को इलाज के इंतजामात करनी चाहिए मजदुरो को अपने वादे के अनुसार उन्हें बिहार में ही रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए अब सरकार ने उन्हें अपने ही हाल पे छोड़ दिया है।

कटिहार की हालत बेहद खराब

कटिहार में हर साल लाखों लोग बाढ़ की विभिषिका में प्रभावित होते हैं। जिसमें स्थायी रोजगार के सारे विकल्प बंद हो जाते हैं। इस साल हालात और खराब हो गए। कोरोना जैसी महामारी में डर से घर की ओर आए लेकिन यहां एक माह का रोजगार नहीं मिल पाया। स्थिति ऐसी है कभी उधर से भगाया जाता है तो कभी रोटी भगा देती है कटिहार जिला के पिछड़ा प्रखंडों में गिना जाता है बलरामपुर और बारसोई बारसोई को संसाधन तो है पर साधन की कमी ने इन दिनों पिछड़ेपन का आलम देखना है तो चले आइए बारसोई रेलवे स्टेशन और इन मजदूरों के पलायन की दास्तां सुनिए और खुद निर्णय कीजिए आजादी से अब तक कितना विकास हुआ है। बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र का रोजगार की हकीकत और फसाना की कहानी की गाथा यह मजदूर आपको सुनाएंगे अपनी ही जुबानी।

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