गया शहर के एक निजी होटल में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा जिला इकाई गया के बैनर तले कायस्थों के अस्तित्व और विरासत पर एक दिवसीय चिंतन कार्यक्रम शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन पूर्व आईपीएस उदय सहाय, कायस्थ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष विनोद श्रीवास्तव, जिला इकाई के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव, महापौर गणेश पासवान, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मृदुला नारायण,अधिवक्ता इंदु सहाय सहित मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। मंचासीन अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंग वस्त्र एवं विष्णु चरण भेंट कर किया गया। दिल्ली से पधारे कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया के प्रधान संपादक सह संयोजक उदय सहाय ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा अपनी अपने कृति पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए उपस्थित कायस्थ परिवारों को उनके कायस्थ मूल वंश की उत्पत्ति, उनके मूल निवास स्थान और कायस्थ जाति का विस्तार पर सारगर्भित तरीके से चर्चा किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कायस्थ जाति नहीं संस्कृति है।
उन्होंने कायस्थ जाति के विरासत पर बारीकी से समझाते हुए कहा कि कायस्थ पूरे भारतवर्ष के 21 प्रांतों में निवास करते हैं। प्रारंभिक काल से कायस्थ कलम और तलवार दोनों से धनी रहे हैं।आज के समय में सभी प्रदेश के कायस्थों का सिलसिलेवार विवरण और पुराने जमाने से नए जमाने तक उनकी उपस्थिति का क्रमवार बोध जिस पुस्तक से होता है वही है कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया है।इस इनसाइक्लोपीडिया में न सिर्फ देश भर के कायस्थों को वरन् संसार भर के कायस्थों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है उसकी जितनी भी प्रशंसा की कम होगी। उन्होंने बताया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कच्छ से लेकर आसाम तक कायस्थ परिवारों की विभिन्न मूल जातियां निवास करती है। जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण भारत के तमिलनाडु में 13 बड़े-बड़े विशाल चित्रगुप्त मंदिर विराजमान है। सभ्यता और संस्कृति को संजोए इस मंदिर की खासियत पूरे राज्य में विधमान है। कायस्थों के राजाओं ने कैथी लिपि सहित कई अन्य लिपिबद्ध किया। कश्मीर का मार्तण्ड मंदिर, उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, मध्यप्रदेश खजुराहो का चित्रगुप्त मंदिर स्थापत्य कला का एक अनुपम उदाहरण है जिसके शिरोधारक कायस्थ राज परिवार से जुड़े लोग हैं। कायस्थों के चार धाम एवं 13 मंदिरों का निर्माण कायस्थों के निधियों में से एक है।
कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया में कायस्थों से जुड़े हुए प्राचीन ग्रंथों के रिफरेंस तो हैं ही अंग्रेजों के जमाने से अब तक कायस्थों पर लिखे गए सभी किताब का कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में उल्लेख है।इसके साथ ही साथ पूरे देश के चित्रगुप्त मंदिर पर भी इसमें विशेष रूप से चर्चा की गई है। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय भारतीय आन्दोलन,कला, इतिहास,साहित्य,सिनेमा,समाज रास्तों के अप्रतिम योगदान पर जीवन समर्पित करने वाले जितने भी लोग हैं सभी की चर्चा इस किताब की बहुत बड़ी बात है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता उदय सहाय ने बताया कि आरंभिक काल से ही भारतवर्ष में कायस्थों का समृद्ध इतिहास रहा है।कायस्थों की प्राचीन बस्तियां, कायस्थों के कारनामे और समाज में कायस्थों की उपयोगिता सदैव बनी रही। उन्होंने समय के अभाव में कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया पर विशेष चर्चा की बात फिर आगे करने को स्वीकार किया है।
कार्यक्रम में मंच पर विराजमान डॉ. प्रमोद कुमार सिन्हा, डॉ.डी के सहाय, उदय श्रीवास्तव, डॉ पियुष कमल सिन्हा,अशोक कुमार सिन्हा, डॉ. मृदुला नारायण, रीता कुमारी, विकास दफ्तूआर,गया नगर के मेयर गणेश पासवान ने भी सभा को संबोधित किया और कायस्थों के गौरवाख्यान की चर्चा की।
इस कार्यक्रम में डॉ मनीष सिन्हा, डॉ राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’, त्रिपुरारी शरण,दिलीप कुमार सिन्हा, इंदू सहाय, सुनील कुमार सिन्हा, विपिन कुमार सिन्हा, राजीव रंजन सिन्हा,महेश प्रबुद्ध, संजय सिन्हा, पी के चरण,प्रणव वर्मा,विष्णु कुमार सिन्हा,गौरव कुमार सिन्हा, नरेश कुमार सिन्हा, राजेश कुमार सिन्हा, पंकज कुमार, मितंम्बरा लोहरा, , डॉक्टर सोनू अन्नपूर्णा, डॉ नवनीत बिहारी शरण,डॉ देवेश सिन्हा, धीरज सिन्हा, मुकेश वर्मा, अमित सिन्हा, विशाल रंजन दफ्तूआर, मनोज कुमार सिन्हा, पप्पू सिन्हा, चितरंजन सिन्हा शिव शंकर सिन्हा, आकाश वर्मा, कंचन सिन्हा, द्वारिकाधीश सहित शहर के अनेक गणमान्य चित्रांश बंधु उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में भोजन के उपरांत अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के बैनर तले गया जिला और गया महानगर इकाई से जुड़े हुए विभिन्न बिग के पदाधिकारियों का चयन सर्वसम्मति से किया गया। इसके साथ ही साथ महिला बिग विभिन्न पदों पर भी सर्वसम्मति से महिलाओं के नाम नामित किए गए।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के प्रधान आयोजक मोहन श्रीवास्तव ने कहा गया नगर के लिए आज का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण है जब कायस्थों का इतना बड़ा कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ है इसमें शामिल हर एक लोगों को खासकर उदय सहाय जी को विशेष रुप से धन्यवाद अर्पित करता हूं। सचमुच कई मामलों में यह कार्यक्रम सफल कहां जा सकता है जब सांस्कृतिक और सामाजिक विषय पर आधारित विचार विमर्श के नाम ढाई हजार से अधिक चित्रांश उपस्थित हुए और इसमें समाज जुड़े हुए बहुत ही बातों का विस्तार से चर्चा दिन भर चर्चा किया गया।