संतोष कुमार
जमशेदपुरः वैश्विक संकट कोरोना के कहर के बीच झारखंड के जमशेदपुर से एक बुरी खबर आ रही है। जहां निजी अस्पताल मेडिका ने अपने जमशेदपुर यूनिट को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। अस्पताल के चेयरमैन ने अपने कर्मियों को सितंबर तक कोलकाता और शिलांग यूनिट में ज्वाइन करने का विकल्प दिया है। वहीं प्रबंधन के फरमान के बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रबंधन का तुगलकी फरमान बताते हुए गुरुवार सुबह जमकर हंगामा शुरू कर दिया।
2014 में हुई थी शुरुआत
बता दें कांतिलाल मेमोरियल ट्रस्ट और टाटा स्टील के सहयोग से साल 2014 में जमशेदपुर के बिष्टुपुर में मेडिका अस्पताल की शुरुआत हुई थी. उस वक्त राज्य में भाजपा की सरकार थी. अस्पताल का तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उद्घाटन किया था, लेकिन भाजपा की सरकार जाते ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अस्पताल पर लीज व ट्रस्ट की शर्तों का उल्लंघन कर व्यवसायिक इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए जांच का आदेश दिया था. हालांकि जांच में शर्तों का उल्लंघन कर अस्पताल के संचालन की बात सामने आयी. इसके बाद प्रबंधन ने जमशेदपुर यूनिट बंद करने का निर्णय लिया।
लाखों रुपए का है बकाया
वहीं अस्पताल पर वेंडर के लाखों रुपए का बकाया है. हालांकि अस्पताल सूत्रों ने बताया कि कोलकाता में बोर्ड बैठक के बाद प्रबंधन ने स्टाफ के सेटलमेंट के बाद वेंडर्स के भुगतान करने की बात कही है. वहीं अस्पताल प्रबंधन के फरमान के बाद कर्मचारी आंदोलित हो उठे और अस्पताल में कामकाज बंद कर बकाया वेतन की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया. हालांकि इसके पीछे के कारण क्या है ये तो अस्पताल प्रबंधन, सरकार और प्रशासन ही जाने, फिलहाल अस्पताल प्रबंधन और कर्मचारी आमने सामने है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि नतीजा क्या निकलता है।