NEWSPR डेस्क। जन अधिकार छात्र परिषद के मगध विश्वविद्यालय अध्यक्ष अशोक कुमार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्रों ने अग्नीपथ योजना के विरोध के साथ- साथ पाँच सूत्री मांगों को लेकर मगध विश्वविद्यालय को बंद करायाl छात्र परिषद ने कहा की इसी यूनिवर्सिटी से बड़े-बड़े आंदोलन हुआ जिसने देश के सताधारियों को आँख खोलने का काम किया है। इस विश्वविद्यालय के छात्रों को उनकी ताकत का एहसास कराने के लिए यह तालाबंदी है। यही के छात्र सरकार को उनकी गड्डी से हटाएंगेl
छात्र परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रौशन ने बताया कि कि यह सरकार पारा मिलिट्री की तरह अनुकंपा, पेंशन और शहीद का दर्जा साथ में सारी सुविधाएं जो मिलिट्री को मिलती है को वापस लेना चाहती है। सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो सैनिक मिलिट्री देश के बड़े युद्ध ऑपरेशन में सिर्फ़ भाग लेते थे। वहीं सिपाही 6 महीने की ट्रेनिंग करके 4 साल बाद निजी जगहों पर जाकर सेवा देंगे, जो सही नहीं है। इससे क्या देश की सुरक्षा को खतरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जो आर्मी सिर्फ देश के झंडे को सलाम करते थे। वह प्राइवेट जगहों पर जाके अम्बानी अडानी जैसे उद्योगपतियों के घर में सलामी देंगे।
इस तरह से देश के जवानों के साथ यह नाइंसाफी होगा। सरकार अविलंब इस फैसले को वापस ले। छात्र परिषद के सभी साथी ऐसे ही अनवरत आंदोलन करते रहेंगे। प्रदेश उपाध्यक्ष शशांक कुमार मोनू ने कहा कि विश्विद्यालय को बिहार सरकार के द्वारा नरक बना दिया गया। छात्रों को 3 साल का कोर्ष 5 साल में पूरी नहीं हो पा रही है। छात्र आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। जब हमारे देश मे नियमित बहाली होती है तो संविदा पर बहाली क्यों करना चाहती है सरकार। आंदोलनकारी छात्र से मुकदमा वापस ले सरकार।
गया से मनोज की रिपोर्ट