NEWSPR डेस्क। गया के गुरुआ के बढ़ी बिगहा में संचालित शशिकांत निजी क्लीनिक के झोला छाप डॉक्टर के इलाज के कारण 50 वर्षीय एक गरीब मजदूर महिला की मौत हो गई। सूत्रों की मानें तो उक्त महिला चिलोर पंचायत के ढीबरा गांव की थी। दो दिन पहले उसे बुखार लगी तो उनके परिजनों ने बाइक पर बैठकर इलाज के लिए शशिकांत निजी क्लीनिक में लाया, जहां उसे भर्ती कर इलाज शुरू हुआ।
जैसे ही उसे डॉक्टर के द्वारा इंजेक्शन लगाया गया तो उक्त महिला की अचानक और तबियत बिगड़ने लगी। जब बिगड़ रही स्थिति को उनके परिजनों ने देखा तो उन्होंने इस बात की जानकारी डॉक्टर को दी। इस पर डॉक्टर ने पैसा कमाने के चलते बोला की ठीक हो जाएगी, इलाज चलने दीजिए, वे दो दिनों तक अपने क्लीनिक में उस महिला को इलाज करते रहे। पीड़ित परिवार को एक भी बात नहीं सुनी। जब हालत काफी बिगड़ने लगी तो उन्होंने दो बजे रात को उनके परिजनों को दूसरे जगह इलाज के लिए ले जाने की बात कही।
सबसे बड़ी बात तो ये है की जिस शशिकांत निजी क्लीनिक में इलाज चल रहा था उस क्लीनिक में मरीज को लाने ले जाने के लिए वाहन की कोई सुविधा नहीं है। किसी तरह से मरीज के परिजनों ने मरीज को इलाज के लिए गया के एम्स में ले गए तो वहां के डॉक्टरों ने जांच किया तो रिपोर्ट में पता चला की गुरुआ में इलाज कर रहे शशिकांत झोला छाप डॉक्टर के कड़े इंजेक्शन की दवा के प्रभाव से महिला की दोनों किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी है, लेकिन फिर भी एम्स के डॉक्टरों ने उस महिला का इलाज शुरू किया। कुछ समय बाद ही महिला ने अपनी जिंदगी की अंतिम सांस ली। इस घटना को लेकर पूरे गुरुआ में कोहराम मचा हुआ है। मृतक के परिजनों से लेकर ग्रामीणों ने गया के सिविल सर्जन से डॉक्टर शशिकांत को जल्द गिरफ्तार कर मामला दर्ज करने की मांग की है।
गया से मनोज की रिपोर्ट