बिहार के स्वास्थ्य मंत्री सह उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 60 दिनों के भीतर स्वास्थ्य व्यवस्था के कायाकल्प का दावा किया था। लेकिन रोहतास से सामने आई एक तस्वीर ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है। मामला रोहतास जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करगहर का है जहां टीबी के एक मरीज को गंभीर स्थिति में एक ठेले पर परिजनों द्वारा अस्पताल लाया गया। परिजनों ने बताया कि टोल फ्री नंबर पर काफी देर तक ट्राई करने के बाद भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिला। मरीज की हालत गंभीर हो रही थी इसलिए उसे 3 किलोमीटर धक्का देकर ठेले पर लादकर लाना पड़ा। वहीं जब परिजन ठेला लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां भी अस्पताल परिसर में मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। मरीज की हालत इतनी खराब थी कि परिजन ठेला को सीधे अस्पताल में लेकर घुस गए। इसके बाद डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मरीज के इलाज में जुट गए। दरअसल करगहर प्रखंड क्षेत्र के डिभियां गांव निवासी जोखन पासवान की अचानक से तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने कई बार एम्बुलेंस के लिए कॉल किया पर संपर्क नही हो पाया। मरीज की बिगड़ती तबीयत देख आननफानन में परिजनों ने उसे एक ठेले पर लाद कर अस्पताल पहुंचे। जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने मरीज को बेहतर इलाज के लिए सासाराम के सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं होने की वजह से आज भी लोग जान जोखिम में डालकर अस्पताल पहुंचते हैं। जबकि दुर्घटना एवं अचानक तबीयत बिगड़ने पर 102 पर काल कर एंबुलेंस की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।