राजीव कुमार
खगड़िया। पूरे बिहार में एक तरफ जहां कोरोना के प्रकोप ने कहर बरपाया, फिर बारिश और बाढ़ ने किसानों के कमर तोड़ कर रख दी है। अब बाढ़ की विभीषिका से बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के तेलिहार, बारूण, कुर्बन, माली, डुमरी के कई इलाकों में कोसी एवं बागमती नदी का पानी ने ऐसा कहर ढ़ाया की सभी के घरों तक पानी फैल गया। जिनमें किसानों का चूल्हा चौकी तक डूब गया। अब हालात यह है कि लोग सड़क पर खाना बनाने को विवश हैं। विभिन्न इलाकों से प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया है, निचले ग्रामीण इलाके के आवागमन पूरी तरह बाधित हो गई है।
बेलदौर पंचायत के खरर्रा बासा के ग्रामीणों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूटने से करीब दो हजार की आबादी वाले क्षेत्र खरर्रा बासा के ग्रामीणों के ऊपर बाढ़ की विभीषिका ने बर्बाद कर दिया है, गांव पहुंचने के लिए कोई आवागमन के वैकल्पिक व्यवस्था नही की गई है। यही हालात तेलिहार पंचायत के वार्ड नंबर 3 एवं 8 में भी नजर आ रही है। यहां तटबंध के किनारे बसे हुए, करीब 200 ग्रामीणों के घरों में पानी घुस गया है। लोग खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर हैं। वहीं प्रशासन की ओर से बाढ़ पीडित व्यक्तियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। दिघौन पंचायत की स्थिति भी ऐसी ही नजर आ रही है। यहां राजा बाजार एवं तरोना के वार्ड नंबर 12 में कई ग्रामीणों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वहीं आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है। लोगों ने सरकार से राहत सामग्री की मांग की है।
सड़क पर गाड़ी की जगह नौकाओं ने ली
इतमादी पंचायत के कुंजहारा गांव वार्ड नंबर 6 मुख्य सड़क से कुंजहारा गांव जाने वाले सड़क पर पानी,उस सडक़ गाड़ी के बदले सिर्फ नौका दौड़ती हैं। ग्रामीणों को सहारा सड़क ही बचा है। जो उनके लिए सोने एवं खाने बनाने के लिए काम आते है। किसानों के खेत मे लगे धान के फसल को बाढ़ ने बर्बाद कर दिया। किसानों ने बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार से मुआवजे की मांग की है।
सरकार से नहीं मिली कोई मदद
इस विपदा में यहां को लोगों को सरकार की तरफ से भी निराशा मिली है। लोगों का कहना है कि सरकार के बाढ़ से पहले एवं बाढ़ के समय सभी सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजी पन्नों पर ही सिमट कर रह गया है। अब सरकारी अनदेखी से बाढ़ प्रभावित इलाके में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। सरकार द्वारा दी जा रही राहत सामग्री किसी भी इलाके में अभी तक नहीं पहुंची है।