NEWSPR DESK- आस्था के आगे दो धर्म की ऐसी दीवार टूटी की मानो यह गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता मिसाल बन गया, भागलपुर में हिंदू धर्मावलंबियों के साथ-साथ एक मुस्लिम परिवार ऐसा है जो तीन पीढीयो से बूढ़ानाथ मंदीर प्रांगण में मां दुर्गा के प्रतिमा के पास मां जगतजननी को खुश करने के लिए शहनाई वादन करते चले आ रहे हैं, बताया जा रहा है कि माता रानी ने 100 वर्ष पहले इस मुस्लिम परिवार की झोली भरी थी
तब से इस मुस्लिम परिवार को ऐसी आस्था जगी की दो धर्म की दीवार मानो टूट गई, यह मुस्लिम परिवार नवरात्रि में सुबह शाम भागलपुर के बुढ़ानाथ मंदिर में कई पीडियों से शहनाई वादन करते हैं, अपने इस पुरखों की परंपरा को उस्ताद इलिल्ला खान के परिवार ने अभी तक संजोए हुए हैं ,माता रानी के प्रति इन परिवारों की अपार आस्था है ,शहनाई की धुन से ही साधक और आसपास के लोग जागते हैं मानो शहनाई की आवाज से सवेरा हो रहा हो।
उस्ताद इलिल्ला खान शहनाई वादन में महारत हासिल कलाकार थे उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त था आकाशवाणी दूरदर्शन के भी वह अच्छे शहनाई वादक थे उन्होंने मां की आराधना में शहनाई वादन कर परंपरा को आगे बढ़ाया और तीन पीढियां के लोग 40 वर्षों से इस परंपरा को जोगे हुए हैं 2017 में उस्ताद इलिल्ला खान के मृत्यु के बाद उसके भाई नजाकत अली काजिम हुसैन जहांगीर हुसैन उनके बड़े बेटे राशिद हुसैन उनके बहनोई साजिद हुसैन बड़े भाई जाहिर हुसैन और भतीजा आजम हुसैन ने इस परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है,श।
शहनाई वादन के समय राग भैरव राग भैरवी राग दुर्गा राग बागेश्वरी राग दरबारी जैसे कई रागों से पूरा मंदिर परिसर और आसपास के इलाके मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।