NEWSPR DESK- पटना- सारण छपरा जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला जज पुनीत कुमार गर्ग की कोर्ट ने नए भारतीय संहिता कानून के तहत कार्यवाही की गई है. जिला एवम सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग की अदालत ने छपरा के रसूलपुर में हुए ट्रिपल मर्डर में आरोपियों को दोषी करार दिया है. बताया जाता हैं कि नए कानून के तहत यह देश का पहला मामला है, जिसमें सारण व्यवहार न्यायालय ने आरोपियों को दोषी पाया है. पांच सितंबर को व्यवहार न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग की कोर्ट फैसला सुनाएगी. सारण के रसूलपुर में तिहरे हत्याकांड में सजा दिलाई गई । इस प्रकरण में DGP ने सभी टीम को पुरस्कृत किया वही कुमार आशीष SP सारण को DGP में सम्मनित किया एवं सुरेंद्र नाथ सिंह व्यवहार न्यायालय सारण के वकील को सहित राजकुमार अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सारण राकेश कुमार सिंह पुलिस इंस्पेक्टर अभियोजन कार्यालय को भी सम्मानित किया गया.
इस मौके पर बिहार पुलिस महानिदेशक डीजीपी आलोक राज ने कहा 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में नई कानून लागू की गई है. इसके तहत प्रशिक्षण करवाया गया था, सारण के तिहरे हत्याकांड में 50 दिनों में उम्र कैद की सजा दिलाई गई. पुलिस अधीक्षक सारण कुमार आशीष सहित वहां की टीम को इसके लिए यहां सम्मानित किया गया.
सारण एसपी डॉ0 कुमार आशीष ने इस घटना पर बोलते हुए कहा कि ये घटना 16 और 17 जुलाई की है. डायल 112 से हमें ये सूचना मिली तो हमलोग घटनास्थल पर गए जहां 3 लोगों की हत्या की गई थी. 1 घण्टे के अंदर आरोपी को पकड़कर हमने उसे पकड़ा. जब हमने आरोपी को पकड़ा उस समय वो कपड़ा जला रहा था उसके शरीर पर भी खून के छींटे थे. हमने उससे पूछताछ की उसके बाद हथियार को बरामद किया गया. 8 को आरोप पत्र दायर हुआ फिर 13 से रोज गवाह को पेश किया गया 3 सितंबर को दोनों को दोषी करार दिया गया, जिन्हें कल सजा सुनाई गई.
एसपी डॉ.कुमार आशीष के नाम अनेक उपलब्धियां-
बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा प्रखण्ड निवासी, 2012 बैच के बिहार कैडर के ऊर्जावान, यशस्वी एवं कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस डॉo कुमार आशीष किसी परिचय के मोहताज नहीं है. श्री कुमार आशीष वर्ष 2020 में बिहार के ऐसे प्रथम एसपी बने जिनको किशनगंज में हुए एक सामूहिक बलात्कार कांड के सफल उद्भेदन, अनुश्रवन एवं ट्रायल की बाद सभी 7 आरोपियों को आजीवन कारावास दिलवाने के लिए भारत सरकार के माननीय गृह मंत्री के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान कुशलता पदक 2020 से सम्मानित किया गया जिसे पिछले माह डीजीपी बिहार द्वारा मैडल और प्रशस्ति पत्र देकर प्रशंसित किया गया.
आशीष को माननीय मुख्यमंत्री, बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2021 में किशनगंज में शराबबंदी को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए उत्पाद पदक से सम्मानित किया गया। उस वर्ष ये सम्मान पाने वाले वो एकमात्र एसपी थे। अपराध की नब्ज़ पकड़ कर उसका शर्तिया सफाया करने के लिए श्री आशीष नामचीन हैं।
वर्ष 2022 में मोतिहारी जिले के कप्तान के रूप में सभी हार्ड्कोर क्रिमिनल्स सहित कुल 17 हज़ार से ज़्यादा अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे धकेलने का श्रेय इन्हें हासिल हुआ है। कड़क छवि के साथ ये अपनी न्यायप्रियता भी जनता में काफी मशहूर है। इनके द्वारा मधेपुरा, नालंदा, किशनगंज और पूर्वी चंपारण, मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक के तौर पर पुलिसिंग के कई प्रयोग किये गए जिनकी व्यापक रूप से प्रशंसा हुई है और सामुदायिक पुलिसिंग के क्षेत्र में मील के पत्थर सिद्ध हुई है:
1- बिहार पुलिस में सर्वप्रथम फेसबुक पेज और व्हात्सप्प ग्रुप द्वारा आम जनता से सीधा संपर्क बनाने का श्रेय, इन्होने ये प्रयोग आईपीएस प्रशिक्षु के रूप में मोतिहारी जिले से सन 2014 में किया था.
2- कॉफ़ी विथ एसपी – ये प्रोग्राम नालंदा जिले से शुरू किया गया था जिसमें युवाओं पर फोकस करते हुए उनकी समस्याओं पर तुरंत कारवाई की जाती है साथ ही, पुलिस और प्रशासन की क्या युवाओं से क्या आशाएं है, कैसे युवा अच्छे नागरिक बन कर देश हित में अपना योगदान कर सकते हैं, इन विषयों पर उनकी पुलिस टीम के द्वारा व्यापक चर्चा की जाती है. युवाओं से जुडने का ये खास प्रोग्राम काफी सफल रहा है। इसके माध्यम से शराबबंदी और पूर्ण नशामुक्ति का संदेश भी दिया जाता है।
3- पिंक पेट्रोलिंग – शहरों में छेड़खानी और यौन उत्पीडन की घटना पर रोकथाम के लिए एक स्पेशल दस्ता का गठन जो निर्धारित समय और स्थानों पर गतिशील रह कर मनचलों की गतिविधियों पर विधिसम्मत करवाई करता है. इसकी शुरुआत जुलाई 2016 में की गयी थी.
4- मिशन वस्त्रदान – गरीब और साधनहीन जनता से जुड़ने के लिए लोगों की सहायता से नए-पुराने गर्म वस्त्र इक्कट्ठा कर पुलिस द्वारा उन्हें वितरित किया जाता है. पुलिस की परंपरागत दमनकारी छवि के इतर ये प्रयास जनता में पुलिस की कल्याणकारी और जनोन्मुखी छवि को परिष्कृत करता है।
5- थाना दिवस – आम जनता की समस्या, सुझाव और शिकायत सीधे उनसे ही सुनकर त्वरित करवाई करने के लिए प्रत्येक सप्ताह विभिन्न थानों और सार्वजनिक जगहों पर थाना दिवस का आयोजन.
6- स्कूल विजिट – हरेक हफ्ते एक स्कूल विजिट कर वहां बच्चों से सीधा वार्तालाप, पुलिस का अज्ञात भय बच्चों के दिमाग से निकालने का प्रयास, उनकी करियर काउंसिलिंग तथा पुलिस की अच्छी छवि का निर्माण.
7- आवाज दो – महिला एवं बच्चियों की घर तथा बाहर, सभी जगहों पर व्यापक सुरक्षा हेतु उनके सॉफ्ट स्किल्स और सेल्फ डिफेन्स टेक्नीक की ट्रैनिंग दी आती है। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्तर पर उन्हें महिला पुलिसकर्मियों द्वारा संरक्षित और संवर्धित किया आता है। ये एक प्रोएक्टिव पुलिसींग का प्रयास है।
8- सामुदायिक पुलिसिंग के तहत बहुत सारे प्रोजेक्ट्स जिसमें विभिन्न स्तरों पर खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन, वृक्षारोपण कार्यक्रम, साहित्यिक गोष्ठी, चित्रकला आदि का नियमित आयोजन.
9- कौमी एकता को बढ़ावा देने के लिए उर्दू मुशायरा एवं हिंदी कविता सम्मेलाओं का नियमित आयोजन.
10- सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता से सीधा संवाद, समस्याओं का तुरंत निराकरण और पुलिस की अच्छी उपलब्धियों को जनता के बीच लाने से पुलिस की छवि में लगातार सुधार करना- E –भरोसा उनकी ऐसी ही एक पहल है। इस पहल को उनके द्वारा 2021 में किशनगंज जिले में शुरू किया गया था जिसमें दूर-दराज के फरियादियों से वो सीधा संवाद ऑनलाइन माध्यम से करते हैं और उनकी समस्याओं का निराकरण 24 घंटे के अन्दर किया जाता है तथा इसकी मोनिटरिंग वो स्वयं करते हैं. इसके अलावा समय समय पर अवसर अनुकूल फेसबुक, ट्विटर के माध्यम से भी जनता से जुड़े रहते हैं और सीधा संवाद लाइव करते हैं.
11- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं अखबारों में लगातार लेखन के माध्यम से समाज में जागरूकता फ़ैलाने का कार्य, अबतक 24 से ज्यादा रचनाएँ छप चुकी
12- छठ पूजा पर विस्तृत आलेख फ्रेंच भाषा में लिखा जो 54 देशों के लोगों तक छठ पूजा की महिमा को बताने में सहायक सिद्ध हुआ है. स्वयं भी JNU दिल्ली से फ्रेंच भाषा में डॉक्टरेट किये हुए हैं. upsc परीक्षा फ्रेंच लिटरेचर विषय से पासकर आईपीएस बनने वाले वे देश के पहले और आखिरी अभ्यर्थी रहे है.
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल माने जाने वाले, जनता के लिए सुलभ, न्यायप्रिय एसपी के रूप में ख्यातिलब्ध श्री आशीष लगातार पुलिस और पब्लिक के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करते रहते हैं। मोतिहारी, दरभंगा, बेगूसराय, मधेपुरा, नालंदा के साथ साथ किशनगंज की आवाम आज भी इन्हें बड़ी शिद्दत के साथ याद करती है.
पिछले वर्ष जून माह में बालासोर में हुए रेल दुर्घटना में राहत पहुँचाने के लिए बिहार सरकार द्वारा भेजी गई टीम का प्रतिनिधित्त्व करते हुए उन्होंने सैकड़ों की जीवन रक्षा में अप्रतिम योगदान दिया था।
पिछले वर्ष दिसम्बर में संपन्न हुए 04 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें राजस्थान में चुनाव पर्यवेक्षण कार्य हेतु नियुक्त किया था, जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया।
समाज में अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों तक त्वरित न्याय सुलभ करना ही इनका ध्येय है. सम्प्रति रेल एसपी मुज़फ्फ़रपुर के पद पर कार्यरत हैं। यहाँ भी उन्होंने अपराधियों को लगातार पकड़ने के अलावा सामुदायिक पुलिसिंग के तहत रेल-पुलिस-पाठशाला को शुरू किया है जिसमें रेलवे स्टेशन और प्लेटफार्म के आसपास कूड़ा-कचरा बीनने वाले, गरीब बेसहारा और जरूरतमंद बच्चों को रेल पुलिसकर्मियों द्वारा शिक्षा दी जाती है. ताकि वे भविष्य में अपराध की ओर अग्रसर ना हों. उन्हें पढ़ा लिखा कर समाज की मुख्य धारा में लाने का बीड़ा डॉ आशीष द्वारा उठाया गया है. इसमें वर्तमान में 150 से ज़्यादा ज़रूरतमंद बच्चों को पांच स्टेशनों मुजफ्फरपुर, रकसौल, बेतिया, समस्तीपुर तथा दरभंगा में ये पाठशाला शुरू की गई है। इस महती प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा समाज के सभी तबकों द्वारा की जा रही है.
नयी तकनीक के साथ पुलिसिंग को आम जनता के सुलभता के लिए किये जा रहे उनके निरंतर प्रयोग आम जनों के एसपी के रूप में काफी लोकप्रिय माने जाते हैं.