पटना डेस्कः पटना एम्स में सिर्फ कोरोना मरोजों का इलाज होगा। एम्स को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में तब्दील करने की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि आगामी तीन से चार दिनों में इसकी घोषणा कर दी जाएगी। इसके बाद यहां कोरोना के सिवा अन्य किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज अगले आदेश तक बंद रहेगा। फिलहाल एम्स में कोरोना आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के लिए 50 बेड उपलब्ध हैं। जो कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनने के बाद बढ़कर 500 हो जाएगा।
बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 10 हजार से अधिक हो गया है। माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में यह संख्या और बढ़ सकती है। जुलाई के अंत तक कोरोना अपने चरम पर हो सकता है। संक्रमितों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा बेड और चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है। एम्स प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी इस निर्णय से अवगत करा दिया है। माना जा रहा है कि मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
दूसरी बीमारी से ग्रसित लोगों को नहीं दे पा रहे समय
एम्स निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि एम्स में सामान्य इमरजेंसी और कोरोना संक्रमित दोनों प्रकार के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में दोनों मरीजों के साथ पूरी तरह से न्याय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह यदि कोविड अस्पताल होगा तो उनके लिए बेहतर होगा। यदि सामान्य मरीजों के लिए संचालन होगा तो उनके लिए बेहतर होगा। यही कारण है कि किसी एक तरह का समर्पित अस्पताल होने से मरीजों के साथ ज्यादा न्याय हो सकेगा।
इमरजेंसी सुविधा भी बंद करने का निर्णय
कोरोना अस्पताल में तब्दील होने के बाद एम्स में इमरजेंसी मरीज भी भर्ती नहीं लिए जाएंगे। अभी यहां का सामान्य ओपीडी पिछले तीन महीने से पूरी तरह से बंद है। सिर्फ कोविड-19 जांच के लिए यहां एक अलग ओपीडी चल रहा है। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इमरजेंसी सेवा यहां जारी थी।
दूसरे अस्पतालों पर बढ़ेगा दबाव
पटना एम्स के कोरोना डेडीकेटेड अस्पताल बनाए जाने के बाद दूसरी बीमारियों या दुर्घटना में घायल लोंगों का इलाज का सारा दबाव पीएमसीएच और आईजीआईएमएस जैसे संस्थानों पर आ जाएगा।