बकरों की बलि के साथ खुला गोबिंदपुर सिंघाड़ा वाली मैया का पट, दर्शन के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। वैशाली के महुआ प्रखंड अंतर्गत गोबिंदपुर सिंघाड़ा में स्थित शक्तिपीठ मनोकामना सिद्धि देवी मंदिर में पंचमी तिथि के मौके पर दो बकरों की बलि के साथ ही मां भगवती का पट श्रद्धालुओं की दर्शन के लिय खोल दी गई। इस मौके पर मां की दर्शन को लेकर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

जानकारी के अनुसार बलि प्रथा के लिए वैशाली के साथ ही आसपास के जिलों में चर्चित प्रसिद्ध शक्तिपीठ  गोविंदपुर सिंघाड़ा में शुक्रवार की रात्रि 9:30 बजे के करीब पंचमी तिथि होने के नाते दो बकरों की बलि एवं छप्पन प्रकार के भोग के साथ ही मां भगवती का पट श्रद्धालु भक्तों के लिए खुल गया। पट खुलते ही लोगों द्वारा लगाये गये जयकारा से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया, इसके साथ ही मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द में पांच दिवसीय भव्य मेला का भी विधिवत शुभारंभ हो गया।

विदित हो कि 210 सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शक्तिपीठ गोविंदपुर सिंघाड़ा में पूरे विधि विधान के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना होती आ रही है। भगवती शक्तिपीठ कई मायनों में वैशाली के साथ ही समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, पटना, बेगूसराय आदि जिलों में चर्चित है। यह स्थान खास तौर पर मनोकामना सिद्धि तथा बकरों की बलि के लिय काफी प्रसिद्ध है. यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है. पूजा समिति के आयोजक मोहन सिंह, सोहन सिंह, गुलाब सिंह, संजय सिंह, सनोज कुमार, बबलू सिंह, टंटु सिंह, संजय सिंह मुन्ना के साथ ही ग्रामीण प्रदीप कुमार सोनी,शंभू सदाशिव, नरेश राम, डॉ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता, वीरेंद्र सिंह ,प्रो सरोज कुमार सिंह लाला, प्रो धर्मेंद्र सिंह, विनोद गुप्ता आदि हैं।

उन्होंने बताया कि यहां पूरे विधि विधान के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना की जाती है। इसमें कहीं भी कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है। मां का पट खुलने के साथ ही बलि प्रथा प्रारंभ हो जाती है, जो नवमी तिथि तक चलती है। दसवीं के दिन मां के अंतिम पूजा अर्चना वाया नदी के तट पर स्थित नरसिंह स्थान सिंघाड़ा में की जाती है। इसके बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन भी नदी में कर दिया जाता है। विसर्जन के दौरान जन सैलाब उमड़ जाति है.जिस कारण पूरा इलाका सुबह से देर शाम तक अस्त व्यस्त हो जाता है।

मुरादे पूरी करती है गोबिंदपुर वाली मईया

सिंघाड़ा, गोबिंदपुर, बावनघाट, कुशहर, मेघपुर के साथ ही अन्य गांव के ग्रामीणों ने बताया कि मां के दरबार में जो श्रद्धालु भक्त मन्नतें मांगते हैं, उनकी मुरादे मां भगवती अवश्य पूरी करती है। इसके बाद लोग मन्नत उतारने  के लिय वैशाली के कोने कोने के साथ ही सूबे के कई जिलों से हर वर्ष मां के दर्शन एवं बलि प्रदान करने के लिए लोग गाजे बाजे के साथ पहुंचते हैं। इस दौरान महुआ से कुशहर, कुशहर से जंदाहा के साथ ही अन्य मार्गो पर पांच दिनों तक काफी भीड़ भाड़ लगा रहता है।

मां के दर्शन के पूर्व हाथ पैर धोकर ही मंदिर में प्रवेश करते हैं लोग

गोबिंदपुर सिंघाड़ा वाली मईया की दर्शन को लेकर आने जाने वाले लोगों को पहले हाथ पैर धोने के बाद ही मंदिर परिसर में प्रवेश कराया जाता है। इस दौरान लोग पूजा पाठ कर प्रसाद चढ़ाने के बाद पंडितों से चंदन टिका लगवाते हैं। मंदिर परिसर में कबूतर भी छोड़ते हैं। कहा जाता है की मंदिर में छोड़े गए कबूतर भी पहले मां की प्रतिमा के इर्द गिर्द भ्रमण करने के बाद मंदिर परिसर के चहारदिवारी पर बैठ जाते हैं। इस दौरान भक्तों को नारियल,बताशा,हलुआ,केला के साथ ही नाना प्रकार का प्रसाद दिया जाता है।

वैशाली से प्रिंस कुमार की रिपोर्ट

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