NEWSPR डेस्क। खबरों की बीच से कभी-कभी कुछ ऐसी-ऐसी खबरें निकाल कर बाहर आती है, जिसका शीर्षक सुनते ही होठों पर मुस्कुराहट पर जाती है। अब इसी खबर को ले लीजिए। ‘एक चाय वाला में लाईवाला को पीटा”। अनायास ही आपके चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई होगी। जब पटना- साहिबगंज इंटरसिटी ट्रेन दानापुर रेल मंडल के हाथीदह स्टेशन पर पहुंची थी। एक ही बोगी में एक चाय वाला और एक लाई वाला दोनों घुस गया। चायवाला उसे दूसरी बोगी में जाने को कहा। क्योंकि लाई खा लेने के बाद मुंह में मीठा पन आ जाने के कारण लोग तुरंत चाय नहीं पीते हैं। चायवाला उसकी बात को नहीं माना और उसी बोगी में चाय बेचने लगा। अपनी व्यवसाई पर कुठाराघात होते देख चायवाला लाई वाला से भीड़ गया। दोनों के बीच मारपीट शुरू हो गई। बीच-बचाव के बाद चायवाला ने लाई वाला को धमकी दी कि तुमको बाढ़ रेलवे स्टेशन पर देख लेंगे। जबकि दोनों बाढ़ का ही रहने वाला था।
बाढ़ रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही दोनों के बीच फिर महायुद्ध शुरू हो गया। क्योंकि चायवाला ने पहले से ही कुछ बदमाश स्टेशन पर बुला रखे थे। स्टेशन पर मारपीट होते देख जैसा कि बताया जाता है जीआरपी वालों ने भी लाईवाला पर अपने हाथ साफ कर लिए। जबकि यदि वे चाहते तो अन्य बदमाशों को पकड़ सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिटाई से मर्माहत लाईवाले ने लिखित शिकायत देने की ठान ली है। पर लिखित शिकायत किसको दे? बाढ़ थाना को दें, या जीआरपी को दें?, उसे समझ नहीं आ रहा है। क्योंकि जीआरपी तो उसका मामला लेना नहीं चाहेगी। क्योंकि पिटाई में अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, वह भी शामिल थी।
अंतत: देखा जाए तो सूबे में ऐसे-ऐसे सैकड़ों मामले प्रतिदिन यूं ही बगैर कफन के दफन हो जाते हैं, और लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है।