बिहार की सियासत में ‘9/11’ की तारीख तय करेगा सत्ता का रास्ता, जानिए क्यों होगी इस दिन पर नजर

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By PR Desk

रजत कुमार

पटना/रांची। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में बिहार के सियासत में आगामी 11 सितंबर की तारीख बहुत कुछ तय कर देगी कि चुनाव का पलड़ा किस तरफ झुकेगा। बताया जा रहा है कि रांची कोर्ट ने लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई को लेकर यह तारीख मुकर्रर की है। माना जा रहा है कि अगर राजद सुप्रीमो की जमानत याचिका को मंजूरी मिलती है, तो राजद के लिए चुनाव में तुरूप का पत्ता साबित होगा। वहीं जमानत याचिका खारिज होने पर जदयू की राहें आसान हो जाएंगी।

राजद में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि क्या चुनाव के दौरान लालू प्रसाद मौजूद रहेंगे। दरअसल, राजद को यह उम्मीद है चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो जेल से बाहर आ जाएंगे। बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर आगामी 11 सितंबर को सुनवाई होगी। लालू स्वंय भी चाहते हैं कि वो बिहार विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले जमानत पर बिहार आ जाएं ताकि महागठबंधन को जीत दिलाने के लिए वो सही रणनीति बना पाएं। लालू यादव के अनुपस्थिति का मतलब उनके विरोधी भी जानते हैं।2015 के विधानसभा चुनाव में जब राजद और जदयू एक साथ चुनाव लड़ी थी तब भी 2014 के मोदी लहर के सामने भाजपा को बिहार में परास्त करना आसान नहीं था तब महागठबंधन के चेहरा के रूप में भले ही नीतीश थे लेकिन रणनीति बनाने में और लोगों को अपने ओर खींचने में लालू ही कारगर हो पाएं यही कारण है कि 2015 विधानसभा चुनाव परिणाम में राजद को सभी दलों से सबसे अधिक सीट प्राप्त हुए थे।

राजद को बचाने के लिए लालू जरूरी

बिहार में चुनाव से पहले ही राजद के कई विधायक और वरिष्ठ नेता पार्टी को छोड़कर जा चुके हैं। वहीं कई छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। इनमें ज्यादातर नेताओं की नाराजगी तेजस्वी और तेज के व्यवहार को लेकर रही है। ऐसे में पार्टी की डूबती नैय्या को बचाने के लिए महागठबंधन के लिए लालू अचूक हथियार साबित होंगे।

तेजस्वी को मिलेगा फायदा

2020 विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नाक सवाल बनता जा रहा है।बचपन से क्रिकेट में अपना कैरियर देखने वाले तेजस्वी जल्द ही राजनीति का ककहरा सिख गए हों लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उनकी टक्कर सीधे नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के गठजोड़ से होनी है इसलिए लालू यादव अगर जमानत पर बाहर आ पाते हैं तो वो तेजस्वी को सबसे अधिक बल मिलेगा। राहुल गाँधी भी तेजस्वी के मुख्यमंत्री कैंडिडेट के रूप में अपना समर्थन जता चुके हैं ऐसे में अगर लालू यादव चुनावी मैदान में तेजस्वी के लिए रणनीति तैयार करेंगे तो एनडीए के सपने के ऊपर पानी फिर सकता है।

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