बिहार के विश्‍वविद्यालयों में दूरस्‍थ शिक्षा कोर्स पर यूजीसी की रोक, केवल नालंदा खुला विवि को मिली सशर्त अनुमति

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। बिहार का कोई भी विश्वविद्यालय अब दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कोई कोर्स नहीं करा सकेगा। मानक पर खरा नहीं उतरने के कारण इन विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म हो चुकी है। दरअसल, यूजीसी के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो ने देशभर में दूरस्थ शिक्षा के लिए मान्य विश्वविद्यालयों और उनके संस्थानों की सूची जारी कर दी है। इसमें बिहार का एक भी विश्वविद्यालय और संस्थान नहीं है। अब तक बिहार में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय बोधगया से दूरस्थ शिक्षा से विभिन्न तरह के कोर्स कराने की अनुमति थी। सूची में देशभर के 38 विश्वविद्यालय और उनके संस्थानों के नाम हैं।

बिहार की एकमात्र ओपेन यूनिवर्सिटी नालंदा खुला विश्वविद्यालय को भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 तक पढ़ाई कराने की अनुमति दी गई है। इसके बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए डीईबी से अनुमति लेनी होगी। एलएनएमयू को वर्ष 2018-19 से 2019-20 तक मान्यता दी गई थी। वह भी अब समाप्त हो गई है। किसी भी विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय चलाने के लिए नैक से ए ग्रेड की मान्यता जरूरी है। निदेशालय के नियमित संचालन के लिए नैक से मिलने वाले ग्रेड के अंक 3.26 सीजीपीए होना अनिवार्य है। इसके होने के बाद ही यूजीसी के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से किसी भी विवि को किसी प्रकार का कोर्स कराने की अनुमति दी जा सकती है। वर्तमान में राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय को नैक से ‘ए’ ग्रेड नहीं प्राप्त है।

यूजीसी के डीईबी की वेबसाइट पर जारी सूची में 38 विश्वविद्यालयों की लिस्ट है। इनमें सबसे अधिक 11 विश्वविद्यालय तमिलनाडु के हैं। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम, तमिलनाडु, तेलंगाना और राजस्थान के विश्वविद्यालय व संस्थान शामिल हैं। डीईबी ने अपनी अधिसूचना में मान्यताप्राप्त 38 विश्वविद्यालयों को आनलाइन कोर्स कराने की भी अनुमति दे दी है। ये सभी विवि स्नातक, पीजी कोर्स के साथ-साथ पास कोर्स व डिप्लोमा कोर्स भी करा सकेंगे। इन सभी कोर्स की संबंधित विवि की ओर से डीईबी से पूर्व से अनुमति होनी चाहिए

ललित नारायण मिथिला विवि, दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि नए सिरे से नैक कराने के साथ-साथ डीडीई की मान्यता के लिए कोर्ट में भी मामला चल रहा है। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को नैक ग्रेड से जोड़ दिया गया है। सरकार को भी इस पर गंभीरता से सोचना होगा। एक तरफ ग्रॉस इनरालमेंट रेशियो (जीईआर) बढ़ाना है, वहीं दूसरी तरफ दूरस्थ शिक्षा को बंद किया जा रहा है। ऐसे में अब रोजगार करने वाले या नौकरी करने वाले लड़के-लड़कियां पढ़ाई नहीं कर सकेंगे।

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