NewsPRLive – जहां एक और पेरेंट्स अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजना नही चाहते वहीं दूसरी ओर मुंगेर जिला का एक सरकारी स्कूल आज अपने पढ़ाई के अनूठे तरीके को ले चर्चा में है । जिस कारण उस विधालय में लोग अपने बच्चों ने नामांकन के लिए लालायित रहते है ।
मुंगेर मुख्यालय से लगभग 4 किलो मीटर दूर गंगा किनारे और पीड़ पहाड़ की तराई में बसा छोटा से गांव तैरासी में अवस्थित मध्य विद्यालय तैरासी देव टोला में पढ़ाई का तरीका ही कुछ अलग है ।
यहां के प्राइमरी सेक्शन के बच्चे नाचते गाते हुए पढ़ाई करते है । ये बच्चे क्लास में बैठ कर तो पढ़ते ही है पर स्कूल परिसर के मैदान में गुनगुनाते धूप में अपनी शिक्षिका के साथ डांस मस्ती के साथ चीजों को सीखते भी है और उसे याद भी करते है । स्कूल टाइम में साउंड बॉक्स पे विभिन्न तरह के गानों के आधार पर बच्चों को हंसते खेलते डांस और मस्ती में शिक्षिका के द्वारा बच्चो को आसानी चीजों को समझा बुझा कर याद करवा रही है ।स्कूल की शिक्षिका रिंकी शर्मा ने बताया की यहां बच्चों को एक्टिविटी आधारित शिक्षा दी जाती है । जिसमे बहुत सारी गतिविधियां बच्चों के साथ मिल कर कि जाति है । जिससे बहुत सी चीजों को सीखने में बच्चों को आसानी होती है । इस विधालय ने प्राथमिक और माध्यमिक क्लास में गतिविधि आधारित शिक्षा को अपना लिया है इसमें हाथों के इशारे नृत्य कला और चीजों को पहचान कर समझाया जाता है ।
इन दिनों प्राथमिक विद्यालयों को अध्यापकों का बच्चो का पढ़ाने का तरीका के वजह ही है जो सरकारी स्कूल में संसाधनों के अभाव के बावजूद बच्चे अब विधालय आ रहे है ।
इस तरह के पढ़ाई में और शिक्षकों के साथ साथ बच्चे भी खूब इंजॉय करते है। इस विधालय के प्रधानाध्याप सुबोध कुमार ने बताया की । यहां के शिक्षिका बीटीएस कोर्स कि ट्रेनिंग ले आई है जहां उन्हें यह सिखाया गया है बच्चों को किस तरह से पढ़ाया जाए जिसे बच्चे आसानी से समझ सके। अब प्रायवेट स्कूल की तरह सरकारी स्कूल भी बच्चों में शिक्षा का जीत जगाने को ले काफी मुस्तैद दिख रहे है ।
इस विधालय की पढ़ाई का अनोखा ढंग जिसने बच्चों को खुशियां देकर विधालय आने को मजबूर कर दिया है । कुछ दिन पूर्व ही मुंगेर डीएम के प्रयास से 22 कचरा चुनने वाले बच्चो को स्कूल तक पहुंचाया गया । और अब इस विधालय में पढ़ाई को ले अपनाए गए विशेष तरीके ने बच्चों का दिल ही जीत लिया ।
यहां न बच्चे शनिवार को नो बैग डे मनाते है । इस दिन कंधो के बैग का बोझ ले वे स्कूल नहीं आते बल्की वे उस पूरे दिन को विभिन्न तरह के एक्टिविटी कर पढ़ाई करते है । जिससे इस स्कूल स्कूल जाने के लिए जिद्द करते है । बच्चो ने बताया की उन्हें इस तरह से। पढ़ना काफी पसंद है और वे हर रोज स्कूल आना चाहते है ।