NEWSPR डेस्क। मोतिहारी के राजेंद्र नगर भवन में महात्मा फुले समता परिषद द्वारा आयोजित सामाजिक परिवर्तन में जाति गणना की भूमिका व उच्चतर न्यायालयका का लोकतंत्रीकरण विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि समतामूलक समाज का मतलब ऐसे समाज से है। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समभाव हो। जो हर व्यक्ति के प्रकिटिक, संवैधानिक अधिकारों की पूर्ण का भरोसा प्रदान करता हो और सभी व्यक्ति को समाज में यथोचित सम्मान पाने के सभी अवसर समान रूप से उपलब्ध कराना हो। इसके साथ ही कहा कि समाज में सभी को बराबरी का अधिकार है।
मोतिहारी से धर्मेंद्र की रिपोर्ट