रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि इस वैक्सीन ने टेस्ट के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. हालांकि, Sputnik V नाम की यह वैक्सीन अभी तक अमेरिका जैसे कई बड़े देशों का भरोसा जीतने में नाकाम रही है. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भी रशियन वैक्सीन पर भरोसा नहीं दिखाया है.
रशियन डिफेंस मिनिस्ट्री और गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित यह वैक्सीन दो वर्ष तक कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी को बढ़ा सकती है. यह दावा खुद रूस की हेल्थ मिनिस्ट्री ने किया है. रूस की हेल्थ मिनिस्ट्री का बयान आने के बाद कुछ देशों ने उसकी वैक्सीन में दिलचस्पी भी दिखाना शुरू कर दिया है.
वियतनाम और इजरायल के अलावा फिलिपींस भी रशियन वैक्सीन को खरीदने की होड़ में शामिल होना चाहता है. हालांकि रूस की वैक्सीन को परखने के लिए फिलिपींस पहले एक क्लिनिकल ट्रायल लॉन्च करेगा, जिसमें वैक्सीन की क्षमता का पता लगाया जाएगा. यह ट्रायल अक्टूबर में शुरू होगा. अगर वैक्सीन ट्रायल में सफल होती है तो अप्रैल, 2021 तक इसे आम लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा.
रूस के 3,000 से ज्यादा मेडिकल प्रोफेशनल्स पर हुआ एक सर्वे बताता है कि यहां के ज्यादातर डॉक्टर्स भी इस वैक्सीन पर भरोसा नहीं दिखा रहे हैं. वैक्सीन का पर्याप्त डेटा ना होने की वजह से वे इस सुपरफास्ट अप्रूवल से संतुष्ट नहीं हैं.