NEWSPR डेस्क। सावन का महीना शुरू होते ही कांवरिया लोग बाबाधाम के लिए निकल चुके हैं। वहीं सुल्तानगंज से जल भरके 105 किलोमीटर की दूरी अमूमन पैदल कांवरिया तीन से चार दिन और डाक कांवरिया 24 घंटे के अंदर कर लेते है। पर क्या पर जो कांवरिया दंडवत यानी जमीन पर लेट लेट कर बाबा धाम जाते हैं। वो 20 से 25 दिनों में बाबा धाम पहुंचते है। ऐसा ही 40 से 45 लोगों का जत्था जो हर साल दंडवत देते ही बाबा धाम जाते हैं।
लखीसराय के रामचंद्र पुर की गृहस्थ परिवार के करीब 40 से 45 लोग हर साल की भांति इस साल भी सुल्तानगंज पहुंचे। वहां से अपना दंडवत यात्रा शुरू करते हुए बाबाधाम तक चले जाते जो काफी कष्टकारी कार्य प्रतित होता है। पर बाबा के भक्तों का कहना है कि बाबा के प्रति अगर मन में आस्था हो तो कठिन से कठिन मार्ग भी उन लोगों के लिए सुलभ हो जाता है। ये दंडवत यात्रा बाबा तक पहुंचा ही देता है।
दंडवत देते जाने वाले कांवरियों ने बताया कि लखीसराय अंतर्गत पिपरिया गांव के रामचंद्रपुर पंचायत से करीब 40 से 50 लोगों का जत्था एक साथ चलता। जो सुल्तानगंज से जल भर एसे ही दंडवत देते हुए करीब सावन के पूर्णिमा से पहले 20 से 25 दिनों की लंबी कष्टप्रद यात्रा को पूरा कर बाबा को जलाभिषेक करते हैं। इसके साथ ही बताया की उनके गांव से ये सिलसिला बहुत पहले से ही चलता आ रहा है।
पहले कुछ लोग दंडवत देते हुए जाते थे, पर जब बाबा में आस्था जागने लगा तो हर साल दंडवत देते हुए जाने वालों की संख्या में इजाफा होने लगा। वहीं इसके चलते आज करीब 40 से 45 लोग एक साथ दंडवत देते हुए बाबा धाम जाते हैं। क्योंकि आज तक बाबा से जो भी कुछ उन्होंने मांगा है वे उसे पूरी कर देते हैं।
मुंगेर से मो. इम्तियाज की रिपोर्ट