NEWSPR DESK- केके पाठक का डंडा एक बार फिर से चला है। पूरे बिहार में अगर इन दिनों किसी विभाग की चर्चा है तो वह है एकमात्र शिक्षा विभाग। जब से शिक्षा विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव पद पर केके पाठक की नियुक्ति हुई है, तबसे शिक्षा विभाग चर्चे में बना रहता है।
कुछ दिन पहले गर्मी छुट्टी समाप्ति को लेकर प्रातःकालीन छह बजे शिक्षकों को विद्यालय पहुंचने का निर्देश और डेढ़ बजे जाने का आदेश जैसे विषयों को लेकर चhaर्चा होती रही। अब एक नए विषय को लेकर छात्र, शिक्षक एवं समाज में चर्चा शुरू हो गई है।
अभाविप छात्र संघ अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक अर्ध विकसित अधिकारी के हाथ में चली गई है इससे बिहार के युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता जा रहा है। चार महीने से मैट्रिक पास और इंटर पास छात्र सड़क पर भटक रहे हैं।
शिक्षा विभाग को पढ़ाई से नहीं बल्कि प्रश्न पत्र छपाई के कमिशन से एवं शिक्षकों पर दमनात्मक कार्यों से मतलब है। बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से जो शिक्षकों की बहाली हुई, उसमें बड़ी धांधली हुई है, इसका खुलासा आए दिन शिक्षा विभाग स्वयं कर रहा है।
चाहे शिक्षकों की बहाली हो, प्रश्न पत्र की छपाई हो अथवा विद्यालय की जांच हो, हर स्तर पर व्यापक कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार हो रहा है।