NEWSPR डेस्क। (मो. इम्तियाज) मुंगेर में उतर वाहिनी गंगा तट स्थित जहाज घाट से जहाज पे से गंगा पार करना अब यादों में सिमट के रह जाएगा। आजादी के पूर्व से ही लोग मुंगेर से नावों से गंगा पार कर खगड़िया, बेगुसराय जाते थे पर श्री कृष्ण सेतु के बनने के बाद अब नाव या जहाज से गंगा पार करना यादों में सिमट कर ही रह जाएगा। इसके साथ ही जहाज़ संचालन से जुड़े 60 से 70 परिवारों का रोजगार चला जायेगा। इसे लेकर लोगों ने अपना दर्द भी बयां किया है।
बता दें क मुंगेर गंगा तट पर बसा एक खूबसूरत शहर है। गंगा तट पे बसे रहने के कारण यहां आवागमन का का जरिया गंगा मार्ग भी है और लोग इसका इस्तेमाल भी करते थे। मुंगेर स्थित गंगा मार्ग ही एक मात्र मार्ग था जो की साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार को जोड़ता था। साल 2002 में काफी संघर्ष के बाद गंगा नदी में रेल सह सड़क पुल का तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा नीव रखा गया। तब से लेकर आज तक लंबे इंतजार के बाद जब ब्रिज बन कर तैयार हो गया तो अब नाव के द्वारा गंगा नदी पार उस पार जाना अब यादों में ही सिमट कर रह जाएगा।
क्योंकि नाव से जहां गंगा पार कर मुख्य सड़क तक जाने में करीब एक घंटा का समय लग जाता था। अब वह सड़क पुल से जाने पर मात्र 10 से 15 मिनट का समय लगेगा। जहाज सेवा बंद हो जाने के कारण मुंगेर गंगा नदी के इस पार और उस पार जहाज सेवा प्रदान करने वालों के साथ साथ इस पे आश्रित करीब 60 से 70 परिवार जिसमे घाटों पे नास्ते पानी की दुकान लगाने वाले से लेकर जहाज घाटों तक यात्रियों को पहुंचाने वाले वाहन चालकों और जहाजों पे काम करने वाले 35 से 40 कर्मचारी अब बेरोजगार हो जायेगें।
जहाज संचालन के मैनेजर सुधीर कुमार बताते है की गंगा ब्रिज के शुरू होते ही कई परिवार के सामने रोजगार की समय उत्पन्न हो जायेगी। जहाज पे काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि कई सालों से वे जहाज पे काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे पर जब यह बंद हो जायेगा तो उनको दूसरा कार्य देखना होगा। वैसे ही घाटों पर कई लोग इस धंधे से जुड़े थे वे बेरोजगार हो जाएंगे।
वहीं जहाज घाटों पे नास्ते पानी की दुकान लगाने वाले और वहां वाहन चलाने वालों ने बताया की उनकी ठीक ठाक कमाई हो जाया करती थी। पर अब उनके सामने भी आर्थिक सम उलस्या उत्पन्न हो जाएगा। इसे लेकर सभी लोगों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि वे उन परिवारों की मदद के लिए आगे आएं ।