NEWSPR डेस्क। एक और राज्य की सरकार गांव में विकास को लेकर रहुई प्रखंड के मिल्कीपर गांव के पास नई बस स्टैंड का निर्माण कर कई लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम करने जा रही है। वहीं सरकार के मुलाजिमों के द्वारा सैकड़ों किसानों के जमीन को अधिग्रहण कर उसकी रोजी-रोटी भी मारने का काम कर रही है।
गौरतलब है कि बिहार राज्य परिवहन निगम के द्वारा मिल्कीपर गांव के पास कई एकड़ जमीन में सरकारी स्टैंड का निर्माण कार्य को लेकर जमीन अधिग्रहण करने का काम किया गया है लेकिन इस बस स्टैंड के निर्माण के पूर्व आंशिक ग्रहण लगते हुए दिखाई दे रहा है। मिल्कीपर गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में जितने भी सरकार के द्वारा जमीन बस स्टैंड के निर्माण को लेकर अधिग्रहण किया गया है वह सारी की सारी जमीन काफी उपजाऊ है।
यहां के किसानों के द्वारा साल में चार प्रकार की फसलें हैं। इस उपजाऊ जमीन में उप जाने का काम भी करती है। मिल्कीपर गांव का मौजा कम होने के कारण अगर सरकार बस स्टैंड के लिए जमीन का अधिग्रहण करती है तो यह मिल्की पर गांव का इलाका पूरी तरह से एक छोटे से टुकड़े में सिमट सिमट जाएगा। स्थानीय किसानों ने बताया कि इसके पूर्व भी बायपास निर्माण को लेकर 10 एकड़ जमीन इस इलाके के किसानों ने सरकार को देने का काम किया था।
किसानों ने कहा कि किसी भी सूरत में हम अपनी जमीन को सरकार के नाम नहीं करेंगे। सभी किसानों ने अपनी अपनी जमीन लिखने से भी साफ तौर पर इंकार कर दिया है। किसानों ने कहा कि इस इलाके के आसपास भी कई ऐसे बंजर जमीन है। जहां पर सरकार को सरकारी बस स्टैंड का निर्माण करना चाहिए। आपको बताते चलें कि इसके पूर्व में भी मिल्कीपर गांव के दर्जनों किसानों ने जिलाधिकारी शशांक शुभंकर से मिलकर एक ज्ञापन भी सौंपा था।
जिसमें बस स्टैंड के निर्माण को किसी दूसरे जगह बनाने की मांग की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने अंचलाअधिकारी को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अंचला अधिकारी के द्वारा यह कहा गया है कि इस इलाके में दो ही तरह का फसल किसानों के द्वारा उठ जाया जाता है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि इस इलाके में चार प्रकार की फसलें किसानों के द्वारा उप जाया जाता है किसानों ने आने वाले वक्त में आंदोलन की चेतावनी देते हुए स्थानीय प्रशासन और सरकार को आगाह किया है।
ऋषिकेश संवाददाता नालंदा