सारे दावे झूठे, घर लौटे 22 हजार लोगों को नहीं मिला काम, प्रशासन का दावा 12 हजार को रोजगार से जोड़ा

Sanjeev Shrivastava

अजित सोनी

गुमलाः झारखण्ड सरकार प्रवासी मजदूर को रोजगार देने की बात कहते नही थक रही है वही गुमला प्रखंड क्षेत्र के खटंगा गांव में देश के विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को नही मिल पा रहा है। दूसरे राज्यों से लौटने के बाद मजदूर बिल्कुल बेकार बैठे हैं प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जब से वो लौटे हैं, उसके बाद से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। वहीं जिले के उपायुक्त शशिरंजन ने बताया की २२ हजार प्रवासी मजदुर गुमला जिला में आये है और सभी लोगों को रोजगार से जोड़ने की बात कही। वही स्थानीय विधायक भूषण तिर्की ने कहा की सभी प्रवासी मजदूर को रोजगार देने की बात कही।

श्रमिकों के सामने भुखमरी जैसे हालात

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की वजह से करोड़ों प्रवासी मजदूरों के सामने बेरोजगारी और भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकारों की ओर से रोजगार से जोड़ने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है. झारखंड की हेमंत सरकार सूबे के प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं संचालित करने की बात कह रही है। सूबे के गुमला जिले में प्रवासी मजदूरों से रोजगार के सच को पता करने के लिए ग्रामीण इलाकों में जाकर पड़चाल की। जिसमें गुमला प्रखंड क्षेत्र के खटंगा गांव में देश के विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों से बात की गई। जिसमें सरकार के दावों की पोल परत दर परत खुलती गई। दूसरे राज्यों से लौटने के बाद मजदूर बिल्कुल बेकार बैठे हैं। मजदूरों को अबतक रोजगार के कोई साधन मुहैया नहीं हुए हैं। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जब से वो लौटे हैं, उसके बाद से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने की वजह से परिवार चलाने में काफी परेशानी हो रही है। फिलहाल स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ने के लिए कई जरूरतें होती हैं जिन्हें वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

वापस नहीं जाना चाहते मजदूर

अपनी हालत बताते हुए किसी भी मजदूर ने फिर से दूसरे प्रदेश में जाकर काम करने से मना कर दिया. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर ही अगर उन्हें रोजगार मिले, तो वो यहीं काम करके परिवार का पालन पोषण करेंगे। गांव में ही एक युवती ने बताया की कई जगहों पर काम करने के बाद वो मुंबई में रहकर एक निजी नर्सिंग होम में नर्स का काम करती थी। मगर जब कोरोना वायरस का कहर मुंबई में फैला तो डरकर परिवार वालों ने उसे वापस गांव बुला लिया। अब गांव वापस लौटने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रही है। युवती ने कहा कि अगर राज्य सरकार की ओर से जो पढ़े-लिखे लोग वापस लौटे हैं, उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने के लिए कोई कदम उठाया जाना चाहिए।

विधायक ने कहा – रोजगार देने के लिए सरकार तैयार

समस्या को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी से गुमला विधायक भूषण तिर्की कहा की सूबे कि हेमंत सोरेन की सरकार ने देश में सबसे पहले अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का काम किया है। ऐसे में सरकार पूरी तरह से सजग और तैयार है कि जो प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं, उन्हें अपने प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि मनरेगा से जोड़कर प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकार ने काम देना शुरु कर दिया है उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे बेरोजगार प्रवासियों के लिए भी राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है, जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी नहीं झेलनी पड़ेगी। उन्हें भी राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

12 हजार लोगों को दिया काम.

गुमला जिला उपायुक्त शशि रंजन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक तकरीबन 22 हजार प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। मनरेगा के तहत चल रही तीन योजनाओं, बिरसा हरित क्रांति योजना, नीलाम्बर -पीताम्बर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल मैदान विकास योजना से जोड़कर करीब 12 हजार प्रवासी मजदूरों को प्रशासन की ओर से रोजगार मुहैया कराया गया है|

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