पटनाः देश की आजादी का सपना देखनेवालों में जिन स्वतंत्रा सेनानियों का सबसे बड़ा योगदान था,उनमें लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का नाम प्रमुख रुप से लिया जाता है। आज आज महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100वीं पुण्यतिथि है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वो महान शख्सियत थे, जिन्होंने ‘स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था। अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में इस नारे का काफी महत्व है। एक अगस्त 1920 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का मुंबई में देहांत हो गया था।
पीएम मोदी ने किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनकी पुण्यतिथि पर बाल गंगाधर तिलक को याद किया है और लगभग साढ़े तीन मिनट की एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से शेयर की है। पीएम मोदी ने लिखा कि आज के दिन सभी लोकमान्य तिलक को नमन करते हैं और उनके साहस, वीरता और स्वराज के सपने को याद करते हैं।
पहले स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज की मांग
बाल गंगाधर तिलक पहले स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज की मांग उठाई। इसके अलावा लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजी भाषा में मराठा दर्पण और मराठी भाषा में केसरी दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए। केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। बाल गंगाधर तिलक अपने पत्रों के माध्यम से अंग्रेजी हुकुमत की काफी आलोचना करते थे। वह एक राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक और वकील थे। वो अंग्रेजी शिक्षा के घोर आलोचक थे, वो मानते थे कि अंग्रेजी शिक्षा भारतीय सभ्यता का अनादर करती है।
इस तरह मिली लोकमान्य की उपाधि
बाल गंगाधर तिलक ने एनी बेसेंट जी की मदद से होम रुल लीग की स्थापना की |होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धी मिली, जिस कारण उन्हें “लोकमान्य” की उपाधि मिली थी। अप्रैल 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की थी। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था।
देश में गणेश उत्सव की शुुरुआत की
लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया। आज इस त्योहार को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है।