Patna Desk: दुनिया में सबसे बड़ा-छोटा और लंबा-ऊंचा हम सभी के लिए हमेशा से ही आकर्षण और बहस का विषय रहा है. हम अपने बचपन के दिनों में ही इन्हें किसी कौतुहल की तरह देखते रहे हैं. दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग का रिकॉर्ड किसके पास है? उस बिल्डिंग में कितने माले हैं? उस बिल्डिंग का रिकॉर्ड कौन सा देश तोड़ सकता है? उसे किसने डिजाइन किया है? आदि-आदि.
इन्ही ऊंची चीजों के क्रम में अव्वल है माउंट एवरेस्ट. जिसके इर्द-गिर्द न जाने कितने किस्से हैं. कैसे हमारे पुरखे उम्र बीत जाने के बाद हिमालय का रुख किया करते हैं तो वहीं किस महिला ने सबसे पहले माउंट एवरेस्ट फतह की? कैसे किसी शख्स ने विकलांगता के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर झंडा गाड़ दिया. हालांकि इससे जुड़े कई दर्दनाक और भयावह किस्से भी हैं. कहा जाता है कि यहां पहुंचने के क्रम में अब तक हजारों लोग जानें गंवा चुके हैं.
मालूम हो कि, हर साल 29 मई यानी आज अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस मनाया जाता है और क्या आपको पता है 1953 में इस दिन नेपाल के तेनजिंग नोर्गे और न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति बने थे. इस दिन को नेपाल ने 2008 से अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया जब महान पर्वतारोही हिलेरी का निधन हुआ. जिसके बाद से ही एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे शेरपा द्वारा माउंट एवरेस्ट की पहली चढ़ाई की याद में हर साल 29 मई को एवरेस्ट दिवस मनाया जाने लगा है.
इस दिन को काठमांडू और एवरेस्ट क्षेत्र में स्मारक कार्यक्रमों, जुलूसों और विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है लेकिन जैसा कि आप देख रहे है कि इस वक्त देश किस दौर से गुजर रहा है. जाहिर सी बात है कोरोना महामारी. 29 मई भारत के इतिहास में एक अहम तारीख है. यही वो दिन है जब दुनिया की सबसे पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट को इंसान ने फतह किया.