NEWSPR डेस्क। शहडोल जिला अस्पताल में दो और बच्चों की मौत हो गयी. तीन माह के ये दोनों शिशु अस्पताल के एसएनसीयू (SNCU) और पीआईसीयू (PICU) वॉर्ड में भर्ती थे. दोनों की निमोनिया बिगड़ने के कारण मौत हुई. इन्हें मिलाकर ज़िला अस्पताल में 3 दिन के भीतर कुल 8 बच्चों की मौत हो चुकी है.
शहडोल ज़िला अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है. अस्पताल के एसएनसीयू और पीआईसीयू वार्ड फिर 2 बच्चों की मौत हो गयी. दोनों नवजात अनूपपुर जिले के थे. तबियत बिगड़ने पर माता-पिता इन्हें लेकर यहां आए थे. ये गंभीर अवस्था में अनूपपुर से रेफर होकर शहडोल लाए गए थे. हालत को देखते हुए दोनों बच्चों को शहडोल अस्पताल से जबलपुर के लिए रेफर कर दिया गया था. लेकिन उससे पहले ही दोनों ने दम तोड़ दिया.इन्हें मिलाकर शहडोल अस्पताल में 3 दिन के भीतर 8 बच्चों की मौत हो चुकी है.
8 बच्चों की मौत ने फिर जिला अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसमें दो बच्चे आदिवासी समुदाय से हैं. डेढ़ साल पहले भी जिला अस्पताल शहडोल में एक साथ छह बच्चों की मौत हो गयी थी. उस मामले में अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई थी और उसके बाद तत्कालीन ज़िम्मेदार अधिकारियों को हटा भी दिया गया था लेकिन मामला शांत होते दोबारा पदस्थ कर दिया था.
बच्चों की फिर मौत होने के बाद राजधानी भोपाल तक हड़कंप मच गया. भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आला अफसरों की बैठक बुलाई और इधर कमिश्नर नरेश पाल ने आपात बैठक की.इस बैठक में कलेक्टर समेत मेडिकल कॉलेज की टीम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद थे. बैठक में ज़िला अस्पताल में फिर बच्चों की मौत होने पर हालात की समीक्षा की गयी कि आखिर ये बड़ी लापरवाही कैसे हुई.बताया जा रहा है कि वॉर्ड में पर्याप्त वेंटिलेटर नहीं होने के कारण भी दिक्कत आ रही है.
एक साथ चार बच्चों की मौत होने पर अस्पताल प्रबंधन ने दलील दी है कि बच्चों की हालत काफी नाजुक थी. इसमें एक बच्चे को नाजुक हालत में लाया गया था. अस्पताल में मासूमों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. एसएनसीयू और पीआइसीयू में तीन अलग-अलग शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है.
जिला अस्पताल में एक साथ बच्चों की मौत का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले पिछले साल भी जिला अस्पताल के एसएनसीयू में छह बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके बाद काफी हंगामा हुआ था. मामला प्रदेश स्तर तक पहुंच गया था. इसके बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने जिला अस्पताल सहित एसएनसीयू का दौरा कर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया था. उस दौरान तत्कालीन सिविल सर्जन और सीएमएचओ को हटा दिया गया था.