NEWSPR डेस्क। पटना कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो वर्षों से श्रावणी मेला और कावड़ यात्रा बंद था, लेकिन कोरोना के रफ्तार सुस्त होने से इस बार कांवड़ यात्रा शुरू हो गया है. सावन महीने की शुरुआत को देखते हुए कांवड़ बाजार में रौनक लौट आई है. कांवड़ियों के साथ-साथ बाजार के लोगों में भी काफी उत्साह है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार सिर्फ भगवा कपड़े का 150 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने वाला है. साथ ही बाजार में डिज़ाइनर कपड़े और कांवड़ की डिमांड बढ़ गई है.
कांवड़ यात्रा में कपड़ों की बात करें तो भगवा रंग के बनियान, टी-शर्ट, कुर्ता-पायजामा, सूट, हाफ पैंट, तौलिया, साड़ियां, खोला और पिट्ठू बैग सहित अन्य कपड़ों की जमकर खरीदारी हो रही है. पटना के कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि इस बार भगवा रंग के कपड़े, जिसका इस्तेमाल कावड़ यात्रा में किया जाता है, का 150 करोड़ रुपये से भी अधिक का व्यापार होगा. कांवड़ियों को शिव-पार्वती के अलग-अलग भाव एवं मुद्रा में लिनन और खादी की ग्राफिक डिजाइन में बनी शर्ट और टी-शर्ट खूब भा रहा है.
इसकी शुरुआती कीमत 400 रुपया है. भगवा गमछा 70 से 200 रुपये के बीच बेचा जा रहा है. वहीं, खादी की कुर्ती महिला बम को सबसे अधिक पसंद आ रहा है. इस वर्ष बाजार में कपड़ों की कीमत में लगभग 20 प्रतिशत वृद्धि देखी जा रही है. भगवा कपड़े के बाजार के साथ-साथ कांवड़ बाजार में भी रौनक खूब है. पटना के कई दुकानदार इस बार डिजाइनर कांवड़ बनाने में जुटे हैं. कांवड़िया आम तौर पर पारंपरिक कांवड़ लेकर बाबा भोलेनाथ पर जल चढ़ाने जाते हैं, लेकिन इस बार कांवड़ियों की बढ़ती भीड़ और लोगों की डिमांड पर डिजाइनर कावड़ भी तैयार किया जा रहा है.
लोग दुकानदारों को इसके लिए पहले ही ऑर्डर दे रहे हैं. इस बार कावड़ की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पटना के बाजारों में कांवड़ की कीमत 350 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक के बीच है. सावन को लेकर बाजारों में रौनक जरूर है, लेकिन महंगाई का असर साफ दिखाई दे रहा है. चूड़ी समेत महिलाओं के अन्य श्रृंगार, फल, बेलपत्र समेत पूजा के अन्य सामान की कीमत आसमान छू रहे हैं. इसके अलावा खान-पान और अन्य सामान के भी यही हाल हैं.