पटनाः नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना के लिए सबसे उत्तम काल माना गया है। कहते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा स्वयं धरती पर आकर भक्तों का कल्याण करती हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना, अखंड ज्योति आदि का बड़ा महत्व है। उसी तरह नवरात्रि में कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी संजीव श्रीवास्तव ने अपनी पत्नी पूजा श्रीवास्तव के साथ अपने आवास पर नवरात्रि के मौके पर कन्या पूजन किया। 9 कन्याओं को आमंत्रित कर उनका आदर सत्कार सपत्निक किए। घर प्रवेश करने के बाद उनको आसन पर बैठाकर उनके पैर को धोए। उनके माथे पर रोली का तिलक लगाया और उनकी पूजा की। इसके बाद सभी कन्याओं को आसन पर बिठाकर अपने हाथों से भोजन परोसे। इसके बाद कन्याओं को दक्षिणा में उपहार स्वरूप कुछ भेंट भी किए।इस मौके पर संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि हमने सुना है कि कन्या पूजन व कन्या भोज व कुमारी पूजा एक हिन्दू पवित्र अनुष्ठान है, जिसे नवरात्रि पर्व के आठवें और नौवें दिन किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से नौ बाल कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा (नवदुर्गा) के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कन्याओं की उम्र के अनुसार उनका अलग-अलग रूप माना जाता है।
दो वर्ष की कन्या दरिद्रभंजन का रूप होती है यानी दुःख हरने वाली। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार व पांच वर्ष की कन्या को कल्याणी, जो कल्याण करती हो। छह वर्ष की कन्या को कालिका, जो राजयोग व विद्या प्रदान करती हो। सात वर्ष की कन्या को चंडिका, आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी, नौ वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का रूप, जो शत्रुओं का नाश करती हो। वहीं, दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा का रूप माना जाता है, जो सभी मनोरथ पूरा करने वाली हो। इस प्रकार कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का भोजन व पूजन किया जाता है। इस पूजन के मौके पर कुंवारी कन्याओं के पूजन के उपरांत सभी लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।