NEWSPR डेस्क। बिहपुर पुलिस की पिटाई से इंजीनियर आशुतोष पाठक की मौत मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रमंडलीय आयुक्त वंदना किनी जांच कर रही हैं। अब तक की जांच में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि आशुतोष की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है।
वही डीएम द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने भी पिटाई से मौत होने की पुष्टि की है। आयुक्त नौ नवंबर को अपनी रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को सौंपेंगी। बिहपुर पुलिस ने आशुतोष पाठक की बीते माह की 24 तारीख को बेरहमी से पिटाई की थी। पुलिस ने इस कदर मारा की उसकी दूसरे दिन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
हालांकि, बिहपुर पुलिस ने इस मामले को दबाने के लिए भरपूर प्रयास किया, लेकिन आशुतोष पाठक के स्वजन ने इस घटना की शिकायत उच्च अधिकारियों से की। इसी बीच स्थानीय लोगों को पुलिस के इस अमानवीय कृत्य की जानकारी हो गई। लोगों ने इसकी जांच के लिए धरना-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
आंदोलन के बढ़ते आकार को देख डीआइजी सुजीत कुमार ने इस मामले में बिहपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष रंजीत कुमार, निजी चालक जहांगीर सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। मुकदमा दर्ज होने के बाद थानाध्यक्ष रंजीत कुमार सहित अन्य आरोपी फरार हो गए। मामला तूल पकडऩे पर चुनाव आयोग ने मामले का संज्ञान लिया। आयोग के निर्देश पर जांच प्रमंडलीय आयुक्त को मिली।
आयुक्त मामले की जांच करने आशुतोष के घर मड़वा गांव गई थीं। वहां स्वजन ने दोषी पुलिस कर्मियों को सजा दिलाने की मांग की थी। प्रमंडलीय आयुक्त ने एसपी नवगछिया को संबंधित पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी के लिए डीआइजी को प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया।
आरोपित होमगार्ड के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई शुरू का आदेश दिया। आरोपित थानाध्यक्ष रंजीत कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई ठिकानों पर छापेमारी की लेकिन वह गिरफ्त में नहीं आया। मंगलवार को पुलिस ने मुंगेर जिले के नवागढ़ी स्थित घर की कुर्की की।
इधर निजी चालक जहांगीर को भागलपुर पुलिस ने दबोच लिया। बहरहाल, इस मामले में एक एएसआइ शिवबालक प्रसाद और दो होमगार्ड जवान मनोज चौधरी व राजू पासवान पहले गिरफ्तार किए जा चुके है। सूचना है कि पीडि़त परिवार को चुनाव के बाद मुआवजा देने पर विचार किया जा रहा है।