बिहार:बिहार सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-शिक्षा कोष एप एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
रफीगंज के रानी ब्रजराज इंटर विद्यालय से सामने आए एक मामले ने इस तकनीकी व्यवस्था और मानवीय लापरवाही की सीमाओं को उजागर कर दिया है।विद्यालय के शिक्षक भुवन कुमार गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने 5 मई और 19 मई 2025 को अपनी उपस्थिति झारखंड के जमशेदपुर से दर्ज की, जबकि उनका विद्यालय वहां से लगभग 273 किलोमीटर दूर स्थित है।उन्होंने एप में ‘मार्क ऑन ड्यूटी’ विकल्प का इस्तेमाल करते हुए यह दर्शाने की कोशिश की कि वे किसी विभागीय कार्य में नियुक्त थे। लेकिन जांच के दौरान ऐसी कोई आधिकारिक ड्यूटी का प्रमाण नहीं मिला। इस मामले को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (प्राथमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा) ने गंभीरता से लिया है और इसे सरकारी सेवा में अनुशासनहीनता और लापरवाही का स्पष्ट मामला बताया है।
दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शिक्षकों को विद्यालय परिसर से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है। यदि वे विभागीय कार्य या प्रशिक्षण में तैनात हैं, तो संबंधित स्थल से ही ‘मार्क ऑन ड्यूटी’ विकल्प चुन सकते हैं। किसी अन्य स्थान से उपस्थिति दर्ज करना नियमों के उल्लंघन के साथ-साथ धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।डीपीओ ने शिक्षक से 24 घंटे के भीतर यह स्पष्ट करने को कहा है:वे उस दिन जमशेदपुर में क्यों थे?उनकी उपस्थिति को “ऑन ड्यूटी” क्यों माना जाए?क्यों न उनके इस आचरण को कदाचार और अनुशासन भंग माना जाए?प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि शिक्षक के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।पहले भी हो चुकी हैं लोकेशन से छेड़छाड़ की घटनाएंयह कोई पहला मामला नहीं है, जब ई-शिक्षा कोष एप में लोकेशन बाईपास कर उपस्थिति दर्ज करने की बात सामने आई हो। लेकिन इस बार मामला दूसरे राज्य से उपस्थिति दर्ज करने का है, जिसे प्रशासन ने गंभीर अनुशासनात्मक उल्लंघन माना है।