NEWSPR डेस्क। बिहार सरकार की सेवा में कार्यरत रहे एक आइएएस अधिकारी लंबे समय बाद फिर सुर्खियों में हैं. घूसखोरी के आरोप में पकड़े गये अधिकारी डॉ. जितेंद्र गुप्ता को अब निलंबित कर दिया गया है. हैरान करने वाली बात ये है कि जितेंद्र गुप्ता सरकार की नजर में करीब 10 महीने से लापता हैं. सर्विस रूल के उल्लंघन का मामला बताते हुए उन्हें सस्पेंड किया गया है.
2013 बैच के आइएएस जितेंद्र गुप्ता को कुछ साल पहले विजिलेंस ब्यूरो ने रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था. डॉ. जितेंद्र गुप्ता कैमूर जिले के मोहनिया में तब SDO के पद पर तैनात थे. अवैध वसूली के आरोप के बाद उनके ऊपर निगरानी ने कार्रवाई की थी. अधिकारी की गिरफ्तारी पर विवाद भी हुआ था. जितेंद्र गुप्ता एक तरफ यह आरोप लगाते रहे कि ट्रांसपोर्टर के बिछाये जाल में उन्हें फंसाया गया वहीं निगरानी के अपने दावे थे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जितेंद्र गुप्ता की गिरफ्तारी का विवाद अदालत पहुंच गया था. पटना हाईकोर्ट ने विजिलेंस की प्राथमिकी को ही रद्द कर दिया था वहीं मामला आगे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. अदालत ने आरोपित अधिकारी को राहत दी थी. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से डॉ. जितेंद्र गुप्ता के कैडर को बदल दिया गया था और अब बिहार के बदले उन्हें नागालैंड कैडर को सौंपा गया था.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने जितेंद्र गुप्ता का कैडर बदला तो वो अब 15 दिसंबर 2020 को डॉ. जितेंद्र गुप्ता नागालैंड कैडर के अधिकारी बन गए थे. नये आदेश के तहत बिहार कैडर से उनका तबादला नागालैंड कैडर में कर दिया लेकिन उन्होंने अभी तक नागालैंड सरकार में योगदान नहीं दिया है.
डॉ. जितेंद्र गुप्ता पिछले 10 महीने से बिना किसी जानकारी के अपनी ड्यूटी से गायब पाए गए है. इसके बाद अब उनके खिलाफ राज्य सरकार ने सेवा नियमावली के तहत कार्रवाई की है और निलंबन का आदेश जारी किया है. निलंबन की अवधि में जितेंद्र गुप्ता का मुख्यालय आयुक्त पटना प्रमंडल में रखा गया है.