BIG-BREAKING बिहार के यशवर्धन सिन्हा होंगे भारत के मुख्य सूचना आयुक्त

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। भारत के 11 वे मुख्य सूचना आयुक्त यशवर्धन सिन्हा होंगे, भारत सरकार ने नए मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में पूर्व विदेश सेवा अधिकारी यशवर्धन कुमार सिन्हा के नाम को मंजूरी दे दी है। वह पहले से भी सूचना आयुक्त थे और सबसे वरिष्ठ भी थे।

यशवर्द्धन कुमार सिन्हा 1981 बैच IFS अधिकारी हैं, जो ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त थे। यशवर्धन कुमार सिन्हा 1981 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी थे.

वह ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रह चुके हैं. बिहार के पटना जिलान्तर्गत नौबतपुर अंचल के खजूरी गांव निवासी यशवर्द्धन सिन्हा पटना के सेंट माइकल हाई स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं।

भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी यशवर्धन कुमार सिन्हा को नया मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जाएगा. 27 अगस्त को बिमल जुल्का के रिटायरमेंट के बाद से ही ये पद खाली पड़ा हुआ था.

विपक्ष ने लगाया चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप

लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चयन प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया भी लगाया है. इसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार को एक असहमति पत्र सौंपा है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उच्च-स्तरीय चयन समिति की बैठक में नामों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने की बात उजागर की थी. बैठक में उन्होंने कहा था कि ‘सर्च कमेटी ने इन दो पदों (CIC और IC) के लिए चुने गए नामों को सार्वजिनक नहीं किया, ये सरासर सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लघंन है’.

मालूम हो कि प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता सहित उच्च-स्तरीय चयन समिति की बैठक में इन नियुक्तियों पर मुहर लगाई गई थी. जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी ने कुल 139 उम्मीदवारों में से CIC पद के लिए दो नामों को तय किया था और 355 उम्मीदवारों की सूची में से आईसी के लिए सात नाम को मंजूरी दी थी.

प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले पैनल ने सूचना आयुक्त के पद के लिए एक मराठी पत्रकार उदय माहुरकर के नाम को भी मंजूरी दी है. सूत्रों के अनुसार माहुरकर इंडिया टुडे समूह में डिप्टी एडिटर के रूप में कार्यरत हैं.

महीनों से खाली पड़ा था CIC का पद

बिमल जुल्का के सेवानिवृत होने के बाद महीनों से मुख्य सूचना आयुक्त का पद पद रिक्त था, जिसके चलते हजारों आरटीआई के मामले लंबित हो गए थे, सीआईसी की कार्यप्रणाली पर गंभीर असर पड़ रहा था, सूचना के अधिकार की करीब 37 हजार अपीलें जमा हो चुकी थीं.

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