NEWSPR डेस्क। यूपी सरकार को लव जिहाद के खिलाफ क़ानून बनाने को लेकर मंजूरी मिल गई हैं। यूपी राज्यपाल आनंदी बेन ने योगी सरकार द्वारा पिछले दिनों लव जिहाद के खिलाफ पास किए गए अवैध धर्मांतरण रोधी कानून के प्रस्ताव “विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020” को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून के अंतर्गत यूपी में अब धर्म परिवर्तन करने के लिए अनुमति लेना आवश्यक हो गया है. राज्यपाल के अनुसार राज्य में विधानमंडल सत्र नहीं है और इसका समाधान है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं.
इसी वजह से तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है. इसलिए अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल इस अध्यादेश को प्रख्यापित करती हैं. उससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शादी के लिए धोखाधड़ी कर धर्मांतरण किए जाने की घटनाओं पर रोक लगाने संबंधी कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद 15-50 हजार तक का जुर्माना का प्रावधान है.
अब शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन अवैध घोषित कर दिया गया है. अगर कोई भी ग्रुप धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 3 से 10 साल की सजा दी जाएगी और अगर धर्मगुरु धर्म परिवर्तन कराता है तो उन्हें DM से अनुमति लेनी होगी. कानून के तहत जो धर्म परिवर्तन करेगा उसे भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. इसी के साथ कोई सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे भी 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना देना होगा और अगर ऐसा कोई संगठन करता है तो उसकी मान्यता को रद्द कर दी जाएगी. साथ ही उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई हो सकती है.
बताते चले कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत अगर किसी भी व्यक्ति को अपना धर्म परिवर्तन करना हो तो उस व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अधिकृत अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रपत्र में ये घोषणा करनी होगी कि वह खुद और अपनी स्वतंत्र सहमति से, बिना किसी बल, उत्पीड़न, प्रलोभन आदि के अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है.
इसी के साथ कोई भी मौलवी या पंडित या अन्य किसी व्यक्ति का एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन करने लिए अनुष्ठान संपादित करेगा, इस संबंध में उसे भी तय प्रपत्र में नोटिस जिला मजिस्ट्रेट या उस जिला, जहां ऐसे अनुष्ठान संपादित किया जाना प्रस्तावित हो, उसे जिला मजिस्ट्रेट द्वारा एक महीने पहले देगा. जिला मजिस्ट्रेट उन दोनों सूचनाओं को प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन और कारण के संबंध में पुलिस के जरिए जांच कराएंगे.