बिहार विधानसभा चुनाव: वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर तेज़ हुई सियासी हलचल, अब तक 28,000 से अधिक दावे-आपत्तियां

Jyoti Sinha

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही प्रदेश की सियासत गर्माने लगी है। जहां राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ा रहा है। इस बीच ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर सियासी गतिविधियां भी तेज हो गई हैं।

अब तक आए 28,370 दावे-आपत्तियां

1 अगस्त को जारी की गई ड्राफ्ट मतदाता सूची पर अब तक 28,370 दावे और आपत्तियां दर्ज की गई हैं। इनमें से 857 मामलों का निपटारा भी किया जा चुका है।

राजनीतिक दलों की चुप्पी

ड्राफ्ट लिस्ट जारी हुए 15 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। वहीं आयोग के अनुसार, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नए मतदाताओं से अब तक 1,03,703 आवेदन (फॉर्म-6) प्राप्त हुए हैं, जिनमें ब्लॉक लेवल एजेंट (BLA) द्वारा दिए गए 6 आवेदन भी शामिल हैं।

दावों का निपटारा ऐसे होगा

नियम के मुताबिक, संबंधित ईआरओ/एईआरओ दस्तावेजों के सत्यापन के 7 दिन बाद दावे और आपत्तियों पर निर्णय लेंगे। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची से किसी भी मतदाता का नाम सीधे नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए जांच और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही आदेश जारी होगा।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

वहीं, SIR प्रक्रिया को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों की पूरी जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए। साथ ही, नाम हटाए जाने का कारण भी सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस संबंध में अखबार, रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए ताकि जनता पूरी जानकारी प्राप्त कर सके।

क्या है मकसद?

आयोग का कहना है कि पुनरीक्षण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता वंचित न रहे और अपात्र नाम सूची में शामिल न हों।

Share This Article