बिहार के मधुबनी जिले के पंडौल औद्योगिक क्षेत्र में जल्द ही एक अत्याधुनिक टेक्सटाइल इंडस्ट्रियल हब आकार लेने जा रहा है। बंद पड़े पुराने सूत मिल को अब आधुनिक टेक्सटाइल उद्योग में तब्दील किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) के तहत 400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है।
यह टेक्सटाइल हब करीब 2 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला होगा, जहां कपड़ा उद्योग से जुड़ी बड़ी और छोटी अनेक इकाइयों की स्थापना की जाएगी। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और जल्द ही इमारतों का ढांचा तैयार होने की उम्मीद है। सरकार को भरोसा है कि इस प्रोजेक्ट से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और राज्य से पलायन की दर में कमी आएगी।
पुराने सूत मिल की जगह टेक्सटाइल इकाइयाँ, मिलेगी हर सुविधा
बीते वर्षों से बंद पड़े पंडौल के सूत मिल को अब टेक्सटाइल हब में बदला जा रहा है। यहां रेशम, सूती और अन्य कपड़ा उत्पादों के लिए हाई-टेक इकाइयाँ लगाई जाएंगी। साथ ही बिजली, पानी, सड़क, नाली जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, ताकि उद्योगों को संचालन में कोई कठिनाई न हो।
बताया जा रहा है कि मधुबनी के लोहट औद्योगिक क्षेत्र में भी करीब 70 करोड़ रुपये के निवेश से एक नई टेक्सटाइल यूनिट स्थापित हो रही है, जो प्रति वर्ष एक लाख मीटर फैब्रिक का उत्पादन करेगी और लगभग 750 युवाओं को रोजगार देगी। हालांकि इस खबर की आधिकारिक पुष्टि अभी BIADA या राज्य सरकार की ओर से नहीं हुई है।
बेरोजगारी से जूझते बिहार के लिए बड़ा अवसर
बिहार से हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। पेरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे 2021-22 के मुताबिक, बिहार में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 20.1% है, जो राष्ट्रीय औसत (12.4%) से काफी अधिक है। ऐसे में पंडौल टेक्सटाइल हब हजारों युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर सम्मानजनक नौकरियाँ उपलब्ध कराएगा।
बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 में टेक्सटाइल और चमड़ा उद्योग के लिए 554.40 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर सहमति बनी थी। इसमें पंडौल क्षेत्र में सावी लेदर्स द्वारा 274 करोड़ और माँ प्रभवती टेक्सटाइल मिल्स द्वारा 94 करोड़ रुपये का निवेश प्रमुख है। यह पहल बिहार को टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर में राष्ट्रीय मानचित्र पर उभारने की दिशा में बड़ा कदम है।
सरकार की नीतियां और विज़न
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2025-30 तक एक करोड़ रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में बिहार टेक्सटाइल एंड लेदर पॉलिसी 2022 लागू की गई है, जिसके अंतर्गत निवेशकों को कई रियायतें दी जा रही हैं —
- 15% पूंजी सब्सिडी (अधिकतम 10 करोड़)
- बिजली पर 2 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी
- प्रति कर्मचारी 5,000 रुपये प्रति माह की प्रोत्साहन राशि
मधुबनी की परंपरा से आधुनिकता का संगम
मधुबनी जिला पहले से ही मिथिला पेंटिंग, हस्तशिल्प और हैंडलूम उत्पादों के लिए विख्यात रहा है। यहां पहले से मौजूद करीब 40 होजरी फैक्ट्रियों में कपास आधारित वस्त्र तैयार होते हैं। पंडौल में बन रहा नया टेक्सटाइल हब इस परंपरा को अब तकनीकी नवाचार और बड़े पैमाने के औद्योगिक ढांचे से जोड़ देगा। इसमें पावरलूम, ऑटोमेटेड मशीनें और प्रोसेसिंग यूनिट्स का व्यापक इस्तेमाल होगा।
निर्यात को मिलेगा बल
बिहटा में स्थापित हो रहे ड्राई पोर्ट से अब बिहार के औद्योगिक उत्पाद नेपाल, भूटान और खाड़ी देशों तक आसानी से पहुंच पा रहे हैं। भविष्य में मधुबनी के टेक्सटाइल उत्पादों को भी इससे वैश्विक बाजार में निर्यात करने में सुविधा मिलेगी।