पटना, 31 जुलाई:
बिहार सरकार द्वारा संचालित सतत् जीविकोपार्जन योजना (एसजेवाई) अब वैश्विक पहचान की ओर अग्रसर है। इसी कड़ी में श्रीलंका सरकार और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बिहार का दौरा कर इस योजना के तहत हो रहे कार्यों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। पटना स्थित सचिवालय में आयोजित डिब्रीफिंग सत्र में दोनों देशों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए।
यह सत्र “इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज (ILE) कार्यक्रम” के तहत आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य सतत आजीविका, सामाजिक सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन से जुड़े बिहार मॉडल को अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ साझा करना है।
सत्र की शुरुआत जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा के स्वागत भाषण से हुई, जबकि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा ने एसजेवाई की रूपरेखा, इसके उद्देश्यों और अब तक की उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी।
गया जिले का दौरा कर लाभार्थियों से की मुलाकात
प्रतिनिधिमंडल ने अपने दौरे के दौरान गया जिले में सतत जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत चल रहे विभिन्न उद्यमों और लाभार्थी परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें योजनांतर्गत किए जा रहे बदलावों और आजीविका के नए अवसरों को प्रत्यक्ष देखने का अवसर मिला।
श्रीलंका सरकार ने सराहा बिहार मॉडल
श्रीलंका के ग्रामीण विकास मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एच.टी.आर.एन. पियासेन ने कहा कि बिहार में चल रही एसजेवाई योजना ने बेहद प्रभावी तरीके से सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाया है। उन्होंने इसे श्रीलंका में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का संबोधन
सत्र को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि बिहार के मॉडल को अन्य देश अपनाने की इच्छा रखते हैं।
विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने जीविका के महिला सशक्तिकरण मॉडल को वैश्विक नवाचार बताया और कहा कि यह सहभागिता, पारदर्शिता और नेतृत्व विकास का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि 2018 में शुरू की गई सतत् जीविकोपार्जन योजना से अब तक 2.1 लाख से अधिक परिवारों को सीधे लाभ मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि अब “जीविका निधि” के नाम से एक सहकारी संघ बनाया गया है, जो महिलाओं को आर्थिक सहायता देने में सहायक होगा।
उन्होंने श्रीलंका प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह योजना बिहार में सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है और इसकी सफलता ने इसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है।
बुद्ध की धरती से साझा प्रयास
कार्यक्रम के समापन पर जीविका के विशेष कार्य पदाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि जैसे भगवान बुद्ध भारत और श्रीलंका को सांस्कृतिक रूप से जोड़ते हैं, वैसे ही यह योजना दोनों देशों को गरीबी से लड़ाई में एक मंच पर ला सकती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से सीखकर इस मॉडल को और मजबूत बना सकते हैं।
ILE कार्यक्रम की भूमिका
“इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज (ILE)” कार्यक्रम जीविका, BRAC इंटरनेशनल और बंधन कोन्नगर के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसके तहत प्रतिनिधि बिहार आकर सतत जीविकोपार्जन योजना की प्रक्रिया और प्रभाव को समझते हैं। अब तक इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका और इथियोपिया के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके हैं।