NEWSPR डेस्क। बिहार विधानसभा की बोचहां सीट पर 12 अप्रैल को उप चुनाव की वोटिंग है। इससे पहले सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों की जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी है। वहीं इस बार बोचहां सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। BJP ने यह सीट अपने सहयोगी रहे मुकेश सहनी से छीन ली और अपना उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार की राह आसान नजर नहीं आ रही है। चुनाव में 100 घंटे से भी कम का समय रह गया है। इसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ जो गुस्सा है वो कमा नहीं है। पांच ऐसे कारण हैं जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी की नैया बोचहां के रण में डगमगा रही है।
दरअसल, बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव में बोचहां सीट बीजेपी ने सहयोगी दल VIP के लिए छोड़ी थी। वहां से मुकेश सहनी ने मुसाफिर पासवान को उम्मीदवार बनाया था। वीआईपी कैंडिडेट बीजेपी-जेडीय़ू के सहयोग से चुनाव जीतकर विधायक बन गये। लेकिन 2021 में ही उनका निधन हो गया। इसके बाद अब वहां उप चुनाव हो रहे हैं। अब इस उप चुनाव से पहले ही बीजेपी ने मुकेश सहनी को NDA से बाहर निकाल दिया है। बोचहां सीट वीआईपी से छीन कर भाजपा ने बेबी कुमारी को मैदान में उतारा है। बेबी कुमारी 2015 में निर्दलीय चुनाव जीती थीं। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में जीते मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को राजद ने मैदान में उतारा है। जबकि एनडीए से बाहर किये गये मुकेश सहनी ने रमई राम की बेटी गीता देवी को उम्मीदवार बनाया है। बोचहां में लड़ाई त्रिकोणात्मक बताई जाती है। तीनों कैंडिडेट जीत के दावे कर रहे।
जानकार बताते हैं कि बोचहां की लड़ाई इस बार काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। भाजपा भले ही पूर्व विधायक बेबी कुमारी को उम्मीदवार दिया हो लेकिन वहां के मतदाताओं में कैंडिडेट को लेकर भारी नाराजगी है। प्रत्याशी की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी नेताओं को भी भुगतना पड़ रहा है। दूसरी तरफ बिहार बीजेपी नेतृत्व की नीति से भी दल के परंपरागत वोटर काफी नाराज बताये जाते हैं। बाकी का कसर मुकेश सहनी के एनडीए से बाहर निकाले जाने और चिराग पासवान का समस्या पूरी कर दे रहा। बोचहां चुनाव प्रचार को नजदीक से देखने और वहां के मतदाताओं के मूड को भांपने के बाद ऐसा लग रहा कि पांच ऐसी वजह से जिस कारण भाजपा की नैया मंझधार में फंसती दिख रही।