बिहार में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने करीब 70,877 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) अब तक जमा नहीं किया है। इस खुलासे के बाद सरकार हरकत में आ गई है और तीन बड़े विभागों—पंचायती राज, नगर विकास एवं आवास और शिक्षा विभाग—की नई धन निकासी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
वित्त विभाग ने लिया सख्त एक्शन
राज्य के वित्त विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक ये विभाग अपने पूर्व के खर्च का पूरा विवरण प्रस्तुत नहीं करते, उन्हें कोषागार या बैंकों से नई राशि निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सबसे अधिक बकाया राशि पंचायती राज विभाग पर है, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार अब तक 28,154 करोड़ रुपये का हिसाब लंबित है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 तक लंबित राशि का ब्योरा:
विभाग | लंबित राशि (करोड़ रुपये में) |
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पंचायती राज | ₹28,154.10 |
शिक्षा विभाग | ₹12,623.67 |
नगर विकास एवं आवास | ₹11,065.50 |
ग्रामीण विकास | ₹7,800.48 |
कृषि | ₹2,107.63 |
अजा-जजा कल्याण | ₹1,397.43 |
सामाजिक कल्याण | ₹941.92 |
पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा कल्याण | ₹911.08 |
स्वास्थ्य विभाग | ₹860.33 |
सहकारिता | आंकड़े उपलब्ध नहीं |
समय सीमा और नियम
वित्त विभाग ने बताया कि आकस्मिक व्यय (AC बिल) की राशि का समायोजन 18 महीनों के भीतर करना अनिवार्य होता है। इस अवधि में उपयोगिता प्रमाण-पत्र (UC) और डीसी बिल (DC – विस्तृत खर्च विवरण) नहीं जमा होने पर कार्रवाई तय होती है। रिपोर्ट के अनुसार AC मद में 9,205 करोड़ रुपये के खर्च का भी अब तक कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
राजनीतिक घमासान भी तेज
इस मुद्दे पर अब विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे “70 हजार करोड़ का घोटाला” करार देते हुए सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर पोस्टर जारी किए हैं और सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं।
क्या होता है UC, AC और DC बिल?
- यूसी (Utilization Certificate): यह प्रमाणित करता है कि आवंटित राशि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए हुआ।
- एसी (Abstract Contingent Bill): आकस्मिक जरूरतों के लिए एडवांस में निकाली गई राशि का संक्षिप्त खर्च विवरण।
- डीसी (Detailed Contingent Bill): एसी बिल के अंतर्गत खर्च की विस्तृत जानकारी देने वाला बिल।
वित्त विभाग की इस सख्ती के बाद अब सभी संबंधित विभागों पर दबाव है कि वे शीघ्र अपने पुराने खर्चों का ब्योरा दें, ताकि राज्य की वित्तीय जवाबदेही बहाल हो सके।