NEWSPR डेस्क। लोक आस्था का महापर्व छठ बुधवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। इस मौके पर जे डी यू- ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने प्रदेश वासियों को छठ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठ महापर्व में नहाय खाय का खास महत्व होता है। व्रतियों ने शुद्धता पूर्वक स्नान कर सात्विक भोजन कीं साथ ही ठेकुआ के लिए गेंहू को धोकर उसे सुखाने में जुट गई हैं। नहाय खाय के दिन विशेष तौर पर लौकी की सब्जी बनती है। इसके पीछे ये मान्यता है कि लौकी काफी पवित्र होता है. और लौकी में पर्याप्त मात्रा में जल होता है। इसमें लगभग 96 फीसदी पानी होता है जो व्रती को होने वाले पानी की कमी को दूर करता है।
खरना के बाद 36 घंटे का उपवास : नहाय खाय के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को खरना के साथ उपवास शुरू होता है। खरना के दिन शाम को व्रती सात्विक आहार जैसे- गुड़ की खीर का सेवन करेंगी। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। तीसरे दिन छठव्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन होता है। इस बार 19 नवंबर को खरना है, जिसके बाद 20 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 21 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।