NEWSPR डेस्क। राजधानी पटना के एक बाल गृह में रहने वाला 12 साल के बच्चे को पता है कि उसके माता- पिता कहां है. उसे परिवार के पास भेजने के लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है. अपने माता- पिता से मिलता, इससे पहले कोरोना ने दस्तक दे दी. एहतियात के तौर पर उसे अभी भेजा नहीं जा सका है. संक्रमित न हो जाये, इस डर से बच्चों के साथ वह बाहर खेल भी नहीं पा रहा है.
पिछले एक महीने में उसके व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है. बच्चा चिड़चिड़ा हो गया है. बात-बात पर साथियों से लड़ने पर आमादा रहता है. राज्य के विभिन्न बालगृहों में रहने वाले बच्चों की कमोबेश यही स्थिति है. कोरोना वायरस से उत्पन्न हालातों के कारण उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. परिवार से बिछड़े, विशेष परिस्थितियों में रह रहे बच्चे डर, तनाव और अकेलेपन से जूझ रहे हैं. अकेले पटना में दस सेंटर हैं.
राज्य भर के 75 सेंटरों के इन बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी तक रुक गयी हैं. इनको लग रहा है कि जिंदगी थम गयी है. उनको कैद कर दिया गया है. बच्चों की जिंदगी में अचानक लगे ब्रेक से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है. हालांकि बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी उनकी काउंसेलिंग कर रहे हैं.
बाल कल्याण समिति पटना की चेयरपर्सन डॉ संगीता कुमारी बताती हैं कि कोरोना काल मे बाल गृह में बच्चे जो लंबे समय से आवासित हैं, उनको कुछ खास दिक्कत नहीं हो रही है. हालांकि जिन बच्चों के माता-पिता की जानकारी हो गयी. उनको घर जाने का ऑर्डर मिल चुका है, लेकिन कोरोना की वजह से नहीं जा पा रहे हैं.
उस कारण से उन बच्चों में थोड़ा मानसिक तनाव दिख रहा है. कोरोना के बारे में सुन सुन कर भी उनमें थोड़ा तनाव दिख रहा है. बच्चों के माता-पिता मिलने नहीं आ पा रहे हैं, यह भी परेशानी का कारण है. विभाग की तरफ से सभी सुविधा बाल गृहों में मुहैया करायी गयी है.