NEWSPR डेस्क। दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत ने कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट एस. भास्कररमन के खिलाफ कथित चीनी वीज़ा रैकेट मामले में आरोप तय कर दिए हैं। मामला वर्ष 2011 का है, जब कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे। सीबीआई के अनुसार, उस दौरान पंजाब में थर्मल प्लांट स्थापित कर रही तालवंडी साबो पावर लिमिटेड को चीनी विशेषज्ञों के लिए वीज़ा चाहिए था। आरोप है कि वीज़ा जारी करवाने के बदले कार्ति चिदंबरम और उनके सहयोगी ने कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत ली और इसे एक कंपनी के माध्यम से ट्रांसफर किया। अदालत ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी समेत कई आरोपों के तहत आरोप तय किए हैं।
मामले में कंपनी के अधिकारी विकास माखरिया को सीबीआई ने सरकारी गवाह बनाया है। माखरिया ने कथित रूप से रिश्वत दिए जाने की बात स्वीकार की है, जिसकी वजह से अभियोजन पक्ष का पक्ष मजबूत माना जा रहा है। वहीं, अदालत ने भास्कररमन पर सबूत नष्ट करने का आरोप भी लगाया, जिसे उन्होंने खारिज किया है। दोनों आरोपियों ने अदालत में खुद को निर्दोष बताया है।
इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया है, जबकि सीबीआई का कहना है कि यह “भ्रष्टाचार के खिलाफ पारदर्शिता सुनिश्चित करने” का मामला है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 जनवरी के लिए निर्धारित की है, जहां मुकदमे की अगली प्रक्रिया पर फैसला लिया जाएगा।