NEWSPR डेस्क। बिहार में सरस्वती पूजा की तैयारियां काफी जोरों-शोरों से चल रही हैं। भोजपुर में भी 5 फरवरी को हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले कुम्हार, कोरोना महामारी की मार से बेदम हो चुके है।
वैश्विक कोरोना महामारी के संक्रमण के बढ़ते मामले को देख बिहार सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया हैं। ऐसे में आने वाले सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपी नहीं है। कोरोना की वजह से मूर्तिकारों को पिछले साल भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
इस साल भी कोरोना ने मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है। दरअसल, कोरोना की वजह से पहले ही मां सरस्वती की मूर्तियों का ऑर्डर कम मिलता था। इस बार सरकार ने कोरोना की वजह से सभी शिक्षण संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है। जिससे मूर्तिकार चिंतित दिख रहे हैं। अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है। वहीं सरस्वती पूजा के बीच इंटरमीडिएट परीक्षा होने की वजह से भी मूर्ति का ऑर्डर काफी कम है। जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भारी पड़ रहा है।
वहीं एक मूर्तिकार ने कहा कि सरस्वती पूजा आने के चार महीने पहले ही मूर्ती बनाने का काम चालू कर देते हैं। बढ़ते कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कई गाइडलाइन जारी कर दी है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है। वहीं, जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है। जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है। मूर्तिकार ने बताया कि हमारे पास 500 रुपये से 5000 रुपये तक की प्रतिमा बनाकर रखी गई है। लेकिन दो चार प्रतिमा को छोड़ अभी तक सभी मूर्तियां जस की तस रखी हुई हैं।
आरा से आकाश की रिपोर्ट