देश में कोरोना के केस में कमी आ रही है इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन भी सरकार उपलब्ध करा रही है लेकिन वैक्सीन भी अब 2 से 3 तरह की उपलब्ध है. इस बीच सवाल भी उठने लगे हैं कि कौन सी वैक्सीन अधिक प्रभावी है? किस वैक्सीन को लगवाने से कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म हो जाएगा? कौन सी वैक्सीन का साइड इफेक्ट सबसे कम है? कोरोना वायरस के खिलाफ कौन सी वैक्सीन लगवाने से एंडीबॉडी तेजी से और अधिक बनने लगते हैं? कोरोना वैक्सीन लगवाने से पहले लोगों के मन में इसी तरह के कई सवाल उठ रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच वैक्सीन के सवाल पर एक शोध में यह बात सामने आई है कि स्वदेशी कोवैक्सीन की तुलना में ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड ज्यादा एंटीबॉडी तैयार करती है. स्वदेशी कोवैक्सीन की तुलना में अधिक एंडीबॉडीज बनाती है. इस शोध में डॉक्टर और नर्सों को शामिल किया गया और उन्हें कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन की दोनों डोज लगाई गईं. इसके बाद यह देखा गया कि कौन सी वैक्सीन कितने प्रभावी ढंग से काम करती है. शोध के परिणाम के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी तैयार करती है.
क्या होती है एंटीबॉडी?
एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है. कोरोना वायरस का संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है. जब कोई व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं. ये वायरस से लड़ते हैं. ठीक हुए 100 कोरोना मरीजों में से आमतौर पर 70-80 मरीजों में ही एंटीबॉडी बनते हैं. अमूमन ठीक होने के दो हफ्ते के अंदर ही एंटीबॉडी बन जाता है. कुछ मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद महीनों तक भी एंटीबॉडी नहीं बनता है.
वैक्सीन की पहली डोज के बाद हुई स्टडी
कोरोनावायरस वैक्सीन-इंड्यूस्ड एंडीबॉडी टाइट्रे (COVAT) की तरफ से की गई शुरुआती स्टडी के अनुसार वैक्सीन की पहली डोज ले चुके लोगों में कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले लोगों ने एंटीबॉडी अधिक बनती है. इस स्टडी में कुल 515 स्वास्थ्य कर्मियों (305 पुरुष, 210 महिला) को शामिल किया गया. जिसमें से 456 को Covishield और 96 को Covaxin लगाई गई. कुल मिलाकर, 79.3 प्रतिशत ने पहली डोज के बाद सेरोपॉजिटिविटी दर्शाई. वैज्ञानिकों ने पाया कि एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी में रिस्पांडर रेट और मीडियन रेट Covishield लेने वालों में ज्यादा रहे.
दोनों में अच्छा रहा Immune Response
COVAT नामक इस शोध में ऐसे हेल्थ केयर वर्कर्स को शामिल किया गया, जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है फिर चाहे उन्हें कोरोना हुआ था या नहीं. रिसर्च के अनुसार, कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों ने अच्छा इम्यून रिस्पांस प्रमोट किया, लेकिन सेरोपॉजिटिविटी रेट और मीडियन एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में अधिक रहे. यानी कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड अधिक एंटीबॉडी निर्मित करती है.
बता दें कि इससे पहले, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड द्वारा बनने वाली एंटीबॉडी को लेकर चौंकाने वाला दावा किया था. उन्होंने कहा था कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद कोवैक्सीन की पहली डोज के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनती है. डॉक्टर भार्गव ने कहा था कि नई स्टडी के अनुसार कोवैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती, बल्कि दूसरी डोज पर्याप्त एंटीबॉडी बनाती है. वहीं कोविशील्ड की पहली डोज लेने के बाद ही इससे अच्छी संख्या में एंटीबॉडी बन जाती हैं.