पटना। बिहार सरकार अब वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर और अधिक सतर्क हो गई है। राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल पशु-पक्षियों की रक्षा को लेकर वन विभाग और पुलिस द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बीते एक वर्ष में विभिन्न थानों और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में करीब 4,000 पक्षी, 164 से अधिक कछुए, अजगर, और कई अन्य जानवरों को तस्करों से मुक्त कराया गया है। इस दौरान दो दर्जन से ज्यादा तस्करों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है।
इनमें कई ऐसे पशु-पक्षी शामिल हैं जो दुर्लभ और विलुप्त प्रजातियों की सूची में दर्ज हैं। राज्य सरकार के मुताबिक पशु तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।
वन विभाग की कार्रवाई और कानूनी पहल
पटना वन प्रमंडल के डीएफओ गौरव ओझा ने जानकारी दी कि जब्त किए गए जानवरों को सुरक्षित उनके प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया जाता है। उन्होंने बताया कि शेड्यूल-1 श्रेणी के जानवरों के साथ अपराध होने पर 3 से 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है, वहीं शेड्यूल-2 श्रेणी के लिए 3 साल तक की सजा दी जाती है।
चौंकाने वाले मामले
- 16 अप्रैल, 2025 को आरा जीआरपी ने फरक्का एक्सप्रेस से दुर्लभ प्रजाति के 27 कछुओं को बरामद किया था, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 15 से 20 लाख रुपये बताई गई थी। इस दौरान पति-पत्नी समेत छह तस्कर गिरफ्तार किए गए थे।
- एक अन्य छापेमारी में 862 प्रतिबंधित पक्षियों के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
- करीब 9 महीने पहले पटना रेलवे स्टेशन से 1700 से अधिक पक्षियों की तस्करी को विफल करते हुए एक अन्य तस्कर को पकड़ा गया था। जब्त पक्षियों में रोज रिंग्ड पाराकिट, ट्रायकलर मुनिया और स्केली ब्रेस्टेड मुनिया जैसे पक्षी शामिल थे।
सीमावर्ती इलाके बना रहे चुनौती
पशु तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क भारत-नेपाल सीमा से संचालित होता रहा है, जहां लंबे समय से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। यहां से हर महीने करोड़ों रुपये की वन्यजीवों की अवैध तस्करी होती है। इन जानवरों की मांग विदेशों, खासकर चीन जैसे देशों में सबसे अधिक है।
सरकार की सख्ती और संयुक्त निगरानी
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. संनील कुमार ने बताया कि तस्करी पर प्रभावी रोक लगाने के लिए सीमावर्ती चेक पोस्टों पर निगरानी तेज कर दी गई है। इसके साथ ही सीमावर्ती गांवों में भी सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस, वन विभाग और खुफिया एजेंसियों की संयुक्त टीमें इस नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी हैं।
राज्य सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है— वन्यजीवों की रक्षा कर पर्यावरण को संतुलित बनाए रखना और तस्करी की काली कमाई पर रोक लगाना।